सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 13 जुलाई, 2018 - उपसंचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने जिले के सोयाबीन उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि 15-25 दिन की फसल होने पर जहां पर बारिष नही हो रही है वहां पर नमी संरक्षण एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु डोरा, कुल्पा चलाए। जहां पर सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की हो एवं बोनी के तुरंत बाद उपयोगी अनुषंसित खरपतवार नाषक जैसे इमझेथाइपर 1 लीटर प्रति हेक्टेयर चैडी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों का छिडकाव करें। उन्होंने बताया कि जिन किसानों के खेतों में केवल चैडी पत्ती वाले खरपतवार पाये जाते हो वे क्लोरीम्यूरान इथाइल 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। जिन किसानों के खेतों में केवल सकरी पत्ती वाले खरपतवार की संख्या अधिक हो वे क्विजालोफाप इथाइल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर, क्विजालोफाॅप-पी-टेफूरील 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या फेनाक्सीफाॅप - पी- इथाइल 0.75 लीटर प्रति हेक्टेयर ममें से किसी एक का 500 लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोझल का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करें।
उपसंचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि जहां पर फसल 15-20 दिन की हो कृषकगण खरपतवार नाषक के छिड़काव के समय अनुषंसित कीटनाषक का मिश्रित छिड़काव कर सकते है, जिससे खरपतवार नियंत्रण के साथ साथ आने वाले 30-40 दिनों तक की नियंत्रण प्रभावी हो सके। इस हेतु इमाझेथाइपर या क्विजालाफाम इथाइल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर, क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 100 मि.ली. प्रति हेक्टेयर, इन्डोक्साकार्ब 333 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते है। छिड़काव के समय प्रति हेक्टेयर पानी की अनुषंसित मात्रा 500 लीटर का उपयोग अवष्य करें। जहां पर सोयाबीन अंकुरित हो चुकी है वहां नीला भृंग कीट के प्रकोप होने की संभावना है, अतः प्रकोप होने पर क्वीनालफाॅस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर सफेद सूंडी का प्रकोप हुआ था वे व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिये प्रकाष जाल अथवा फिरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। बोवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.25 मि.ली. प्रति किलो बीज से बीजोपचार करें। सोयाबीन फसल 30 दिन होने के बाद फसल में डोरा अथवा कुल्पा न चलाएं।
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