वर्षा ऋतु में जलजनित मौसमी बीमारियों की रोकथाम के उपाय करें
खण्डवा 21 जुलाई, 2018 - वर्षा ऋतु में संक्रामक रोग हैजा, उल्टी-दस्त, पैचिस, खसरा, मलेरिया, पीलिया आदि बीमारीयां उत्पन्न होती है, इसका मुख्य कारण पेयजल प्रदूषित होना। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. रतन खंडेलवाल ने बताया गया है कि नदी, तालाब जैसे जल स्त्रोतों के पास जब लोग मल त्याग करते है तो मल में मौजूद रोगाणु पानी में मिल जाते है। जब लोग स्नान करते हैं, कपड़े धोते है या पशुओं को नहलाते है तो अनेक रोगाणु पानी में फैल सकते है जब पीने के लिए या भोजन पकाने के लिए ऐसे प्रदूषित व गंदे जल का उपयोग किया जाता है तो यह रोगाणु शरीर में प्रवेश कर के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित करते है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इससे मुख्य रूप से दस्त, हैजा, टाईफाईड, पीलिया, खूनी पैचिस, क्रिम तथा आंव दस्त जैसी कई बीमारियां होती है। वर्षा ऋतु में जलजनित रोगों से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियां रखना जरूरी है कि हमेशा शुद्ध जल स्त्रोत का प्रयोग करें, जैसे हेण्डपम्प, सार्वजनिक नल आदि इनका पानी प्रदूषित नहीं होता है। पेयजल के लिए हेण्डपम्प के पानी को हमेशा दोहरे कपड़े से छानकर इस्तेमाल करके कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है।
पीने के पानी के बर्तन में एक क्लोरिन गोली पीसकर डालना चाहिए। आधे घण्टे तक इसे ढककर रखने के बाद ही पानी पीने के लिए उपयोग करना चाहिए। यह गोलियाॅ प्रत्येक स्वास्थ्य एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व ग्राम में डिपो होल्डर के पास निःशुल्क उपलब्ध है। दूषित पानी से होने वाली बीमारियों में दस्त रोग प्रमुख है, उल्टी-दस्त होने पर ओ.आर.एस. पैकेट एक लिटर स्वच्छ व शुद्ध पानी में घोलकर रोगी को पिलाना शुरू कर देना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिकों से अपील की गई है कि बाजार में बिकने वाले सडे़ गले खाद्य सामग्री, फल आदि न खरीदे, ढके हुए व अच्छी खाद्य सामग्री, फल ही खरीद कर सेवन करें।
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