नेशनल लोक अदालत को लेकर जनरल इंश्योरेंस कंपनी की बैठक आयोजित
खण्डवा (30सितम्बर,2014) - मंगलवार को अभिनन्दन कुमार जैन, जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में जिला न्यायाल के सभागृह में मोटर दुर्घटना दावा संबंधित समस्त जनरल इन्श्योरेंस कम्पनियों की बैठक का आयोजन किया गया । आयोजित बैठक में प्रभारी अधिकारी नेशनल लोक अदालत गौरीशंकर दुबे, विशेष न्यायाधीश खण्डवा, दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी अक्षय कुमार द्विवेदी, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, राजेन्द्र कुमार दशोरा , द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा न्यू इंडिया इंश्योरेंस, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस, नेशनल इंडिया इंश्योरेंस एवं ओरियन्टल इंडिया इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारीगण एवं उनके अधिवक्तागण तथा दावाकर्ता अधिवक्ता उपस्थित थे।
बैठक में प्र्रायवेट इंश्योरेंस कंपनियाॅं अनुपस्थित रही। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए समस्त प्रायवेट जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिये गए। इसके साथ ही उपस्थित सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को न्यायालयवार मामलों की सूची गंगाचरण दुबे, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण खण्डवा द्वारा सूचियां प्रदान की गई। जिसके बाद जिला न्यायाधीश द्वारा निर्देश दिये गये कि 15 अक्टुबर को पुनः बैठक का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बीमा कंपनियों को ऐसे प्रकरण जो समझौता योग्य है। उनकों चयनित कर अभिलेख तैयार कर उनकी सूची तैयार की जाए एवं जो प्रकरण समझौता योग्य नही है उसकी सूची पृथक-पृथक तैयार कर प्रस्तुत करेंगी।
इसके साथ ही बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि क्लेमेंट लाॅयर अपने प्रकरणों में पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। साथ ही आगामी तिथि को प्रदान की गई सूची अनुसार समझौते के लिए तैयार रहेंगे। वही बीमा कंपनियों के उच्च अधिकारियों को लोक अदालत के पूर्व अपने प्रस्ताव अनुमोदनार्थ हेतु प्रस्तुत करेगे। ताकि अधिक से अधिक मोटर दुर्घटना प्रकरणों का निराकण संभव हो सकें।
इसी प्रकार बैठक में बीमा कंपनियांे के अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि इंन्यूदी प्रकरण, मृत्यू के वह मामले जो निराकृत हो सकते है, उनके लिए अपने उच्च अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करे। बैठक में जिला न्यायाधीश द्वारा यह निर्देश दिया गया कि 6 दिसम्बर 2014 को नेशनल लोक अदालत में वास्तविक कार्य किया जाए, ताकि लोक अदालत का उद्देश्य पूर्ण हो सके एवं अधिकाधिक गरीब पक्षकारों को न्याय प्राप्त हो तत्परता से मामले निराकृत हो सके।
क्रमांक/140/2014/1512/वर्मा
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