अभिभावकों के संरक्षण एवं सूती कपडे़ पहनकर बच्चे करंे आतिशबाजी
आपात स्थिति में ले जाए शासकीय चिकित्सालय
खण्डवा (22 अक्टूबर,2014) - दीपावली पर अतिशबाजी के दौरान कई बार असावधानीवश बच्चे दुर्घटना के शिकार हो जाते है। इसमें अधिकांशों को आंखों में चोट आ जाती है । साथ ही यह चोंट आगे चलकर उनके अंधेपन का कारण बन जाती है।
इसके मद्ेनजर जिला दृष्टिविहीनता नियंत्रण समिति द्वारा ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए सावधानी बरतनें की अपील की गई है। साथ ही कुछ महत्तपूर्ण बातों का ध्यान रखने का आग्रह भी किया गया है। जिसकी अधिक जानकारी देते हुए समिति के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि -
ऽ अभिभावक बच्चों को अपने संरक्षण में आतिशबाजी करवाएं।
ऽ इसके अलावा फटाखे जलाते समय प्रयास करे की सूती कपड़े ही पहनें।
ऽ जहां पर बच्चों द्वारा आतिशबाजी की जा रही हो वहां पर आपात स्थिती को ध्यान में रखते हुए पानी से भरा बर्तन और कम्बल रखें ।
ऽ इतनी व्यवस्था होने के बाद भी कोई बच्चा या परिजन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो उसे उपचार के लिए तुरंत ही निकटतम के शासकीय चिकित्सालय में ले जाएं । जहां इस तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सालय में उपचार की व्यवस्था की गई है।
आपात स्थिति में ले जाए शासकीय चिकित्सालय
खण्डवा (22 अक्टूबर,2014) - दीपावली पर अतिशबाजी के दौरान कई बार असावधानीवश बच्चे दुर्घटना के शिकार हो जाते है। इसमें अधिकांशों को आंखों में चोट आ जाती है । साथ ही यह चोंट आगे चलकर उनके अंधेपन का कारण बन जाती है।
इसके मद्ेनजर जिला दृष्टिविहीनता नियंत्रण समिति द्वारा ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए सावधानी बरतनें की अपील की गई है। साथ ही कुछ महत्तपूर्ण बातों का ध्यान रखने का आग्रह भी किया गया है। जिसकी अधिक जानकारी देते हुए समिति के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि -
ऽ अभिभावक बच्चों को अपने संरक्षण में आतिशबाजी करवाएं।
ऽ इसके अलावा फटाखे जलाते समय प्रयास करे की सूती कपड़े ही पहनें।
ऽ जहां पर बच्चों द्वारा आतिशबाजी की जा रही हो वहां पर आपात स्थिती को ध्यान में रखते हुए पानी से भरा बर्तन और कम्बल रखें ।
ऽ इतनी व्यवस्था होने के बाद भी कोई बच्चा या परिजन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो उसे उपचार के लिए तुरंत ही निकटतम के शासकीय चिकित्सालय में ले जाएं । जहां इस तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सालय में उपचार की व्यवस्था की गई है।
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