मनरेगा कन्वर्जेंस से बनेंगे आँगनवाड़ी भवन
हेण्ड-पम्प और बाउण्ड्री-वॉल का भी प्रावधान
खंडवा (6 जनवरी, 2014) - प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के समग्र विकास के उद्देश्य से जिन ग्राम-पंचायतों में पक्के आँगनवड़ी भवन नहीं हैं या जहाँ आँगनवाड़ी किराये के भवन में संचालित है, वहाँ 7 लाख 80 हजार की लागत वाले नये आँगनवाड़ी भवन का निर्माण मनरेगा कन्वर्जेंस से करवाया जायेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस उद्देश्य से विस्तृत दिशा-निर्देश सभी जिला कलेक्टर तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को भेजे हैं। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं महिला-बाल विकास की सहमति के परिप्रेक्ष्य में आँगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण में मनरेगा राशि के साथ-साथ बीआरजीएफ, एकीकृत विकास कार्यक्रम (आईएपी) तथा महिला-बाल विकास मद से भी कन्वर्जेंस हो सकेगा।
महिला-बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय द्वारा आँगनवाड़ी भवन के निर्माण के लिये जनपद, ग्राम-पंचायत और जिला पंचायतवार प्रस्ताव तैयार किये जायेंगे। जिला पंचायत आँगनवाड़ी केन्द्रों की सूची तथा निर्माण प्रस्ताव संबंधित जनपद पंचायतों के माध्यम से ग्राम-पंचायतों को भेजेंगी। ग्राम-पंचायत द्वारा भवनों के लिये 40-50 वर्ग फीट शासकीय भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इसमें बाउण्ड्री-वॉल तथा हेण्ड-पम्प की स्थापना का प्रावधान भी होगा। यदि आँगनवाड़ी भवन किसी ऐसे स्कूल भवन में निर्मित किया जाना प्रस्तावित हो। जहाँ हेण्ड-पम्प और बाउण्ड्री-वॉल की व्यवस्था पहले से हो तो वहाँ 25-25 वर्ग फीट भूमि चिन्हित की जायेगी। केन्द्र की लागत 5.83 लाख और भवन की सुरक्षा के लिये बनाई जाने वाली बाउण्ड्री-वॉल तथा पेयजल व्यवस्था के लिये स्थापित हेण्ड-पम्प की लागत 1.97 लाख रुपये निर्धारित रहेगी। आँगनवाड़ी भवन में एक हॉल, किचन, स्टोर, बराण्डा एवं टॉयलेट बनाया जायेगा। भवन का कुल निर्मित क्षेत्रफल 625 वर्ग फीट होगा। आँगनवाड़ी भवन निर्माण के प्रस्ताव पर ग्रामसभा का अनुमोदन भी लिया जायेगा और मनरेगा प्रावधानों के अनुसार त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं का अनुमोदन भी प्राप्त कर शेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट तथा वार्षिक कार्य-योजना में शामिल किया जायेगा।
भवनों के निर्माण के लिये प्राक्कलन के साथ तकनीकी प्रतिवेदन भी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के उप यंत्री द्वारा तैयार किये जायेंगे। इसमें आँगनवाड़ी केन्द्र से लाभान्वित परिवारों और उनके बच्चों की संख्या तथा बच्चों की देखभाल की वजह से संबंधित परिवार के सदस्यों को अपनी आजीविका सुदृढ़ करने के लिये समय की बचत का उल्लेख भी होगा। आँगनवाड़ी भवनों के निर्माण में अकुशल श्रम का कार्य मनरेगा जॉब-कार्डधारी परिवारों से ही करवाया जाना आवश्यक होगा और ठेका पद्धति प्रतिबंधित रहेगी। मानव श्रम के बदले खुदाई कार्य में प्रयुक्त होने वाली जेसीबी मशीनों का प्रयोग भी प्रतिबंधित होगा। निर्माण सामग्री का क्रय पंचायत में लागू भण्डार क्रय नियमों के अनुसार पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर किया जायेगा। मजदूरी एवं सामग्री का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ईएफएमएस) के माध्यम से किया जायेगा तथा रोजगार सृजन का पूरा रिकार्ड रखा जायेगा। आँगनवाड़ी निर्माण का कार्य सामग्रीमूलक होने से इस कार्य में मजदूरी-सामग्री अनुपात सामान्यतः 15ः85 होगा। यदि मनरेगा मद से निर्माण पर 4.50 लाख की राशि व्यय होगी तो ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत-स्तर पर 60ः40 का अनुपात संधारित करना होगा। क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा ग्रामसभा में प्रत्येक कार्य का सामाजिक अंकेक्षण करवाया जायेगा। ग्राम-स्तरीय सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति कार्यों का भौतिक सत्यापन करेगी। राज्य-स्तरीय एवं जिला-स्तरीय क्वालिटी मॉनीटर तथा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री भी समय-समय पर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का निरीक्षण करेंगे।
महिला-बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय द्वारा आँगनवाड़ी भवन के निर्माण के लिये जनपद, ग्राम-पंचायत और जिला पंचायतवार प्रस्ताव तैयार किये जायेंगे। जिला पंचायत आँगनवाड़ी केन्द्रों की सूची तथा निर्माण प्रस्ताव संबंधित जनपद पंचायतों के माध्यम से ग्राम-पंचायतों को भेजेंगी। ग्राम-पंचायत द्वारा भवनों के लिये 40-50 वर्ग फीट शासकीय भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इसमें बाउण्ड्री-वॉल तथा हेण्ड-पम्प की स्थापना का प्रावधान भी होगा। यदि आँगनवाड़ी भवन किसी ऐसे स्कूल भवन में निर्मित किया जाना प्रस्तावित हो। जहाँ हेण्ड-पम्प और बाउण्ड्री-वॉल की व्यवस्था पहले से हो तो वहाँ 25-25 वर्ग फीट भूमि चिन्हित की जायेगी। केन्द्र की लागत 5.83 लाख और भवन की सुरक्षा के लिये बनाई जाने वाली बाउण्ड्री-वॉल तथा पेयजल व्यवस्था के लिये स्थापित हेण्ड-पम्प की लागत 1.97 लाख रुपये निर्धारित रहेगी। आँगनवाड़ी भवन में एक हॉल, किचन, स्टोर, बराण्डा एवं टॉयलेट बनाया जायेगा। भवन का कुल निर्मित क्षेत्रफल 625 वर्ग फीट होगा। आँगनवाड़ी भवन निर्माण के प्रस्ताव पर ग्रामसभा का अनुमोदन भी लिया जायेगा और मनरेगा प्रावधानों के अनुसार त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं का अनुमोदन भी प्राप्त कर शेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट तथा वार्षिक कार्य-योजना में शामिल किया जायेगा।
भवनों के निर्माण के लिये प्राक्कलन के साथ तकनीकी प्रतिवेदन भी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के उप यंत्री द्वारा तैयार किये जायेंगे। इसमें आँगनवाड़ी केन्द्र से लाभान्वित परिवारों और उनके बच्चों की संख्या तथा बच्चों की देखभाल की वजह से संबंधित परिवार के सदस्यों को अपनी आजीविका सुदृढ़ करने के लिये समय की बचत का उल्लेख भी होगा। आँगनवाड़ी भवनों के निर्माण में अकुशल श्रम का कार्य मनरेगा जॉब-कार्डधारी परिवारों से ही करवाया जाना आवश्यक होगा और ठेका पद्धति प्रतिबंधित रहेगी। मानव श्रम के बदले खुदाई कार्य में प्रयुक्त होने वाली जेसीबी मशीनों का प्रयोग भी प्रतिबंधित होगा। निर्माण सामग्री का क्रय पंचायत में लागू भण्डार क्रय नियमों के अनुसार पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर किया जायेगा। मजदूरी एवं सामग्री का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ईएफएमएस) के माध्यम से किया जायेगा तथा रोजगार सृजन का पूरा रिकार्ड रखा जायेगा। आँगनवाड़ी निर्माण का कार्य सामग्रीमूलक होने से इस कार्य में मजदूरी-सामग्री अनुपात सामान्यतः 15ः85 होगा। यदि मनरेगा मद से निर्माण पर 4.50 लाख की राशि व्यय होगी तो ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत-स्तर पर 60ः40 का अनुपात संधारित करना होगा। क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा ग्रामसभा में प्रत्येक कार्य का सामाजिक अंकेक्षण करवाया जायेगा। ग्राम-स्तरीय सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति कार्यों का भौतिक सत्यापन करेगी। राज्य-स्तरीय एवं जिला-स्तरीय क्वालिटी मॉनीटर तथा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री भी समय-समय पर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का निरीक्षण करेंगे।
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