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Tuesday 21 January 2014

सफलता की कहानी

सफलता की कहानी

मनरेगा के पशु आश्रय से हुआ ग्रामीणों को लाभ

प्रतिवर्ष बनने वाले कच्चे टप्परों और बीमारियों से मिली निजात

 

खंडवा (21 जनवरी, 2014) - हमने कभी सोचा भी नही था कि कभी शासन की किसी योजना से हमारे पशुओं के लिये आश्रय प्राप्त होगा, परंतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत हमें मिले पशु आश्रय से हमारा यह विश्वास और दृढ़ हो गया है कि शासन जनता के साथ-साथ हमारे पशुओं के लिये भी कल्याणकारी प्रयास कर रहा है। यह कहना है पंधाना जनपद की ग्राम पंचायत भगवानपुरा के उन परिवारों के लोगों का जिन्हें मनरेगा योजना अंतर्गत पशु आश्रय से लाभन्वित किया गया है।
भगवानपुरा में इस योजना अंतर्गत वर्तमान में भैयालाल मोजीला, प्यारा घिया, श्यामा गुलाब, तुलसी राम नत्थू, लक्ष्मण नत्थू, कन्हैया छितर, सेवकराम बोंदर, ठाकुर गुलाब, एवं रमेश बाबू को पशु आश्रय प्रदाय किये गये हैं। इन परिवारों के मुखिया बतलाते है कि पूर्व में हमें पशुओं हेतु प्रति वर्ष घास पूस और लकड़ी आदि एकत्र कर टप्पर बनाना पड़ता था। पैसे के अभाव में निर्मित इन कच्चे पशु आश्रय में पशुओं हेतु तो जगह होती थी परंतु न तो घास व चारा रखने की व्यवस्था होती थी और न ही वहाँ साफ-सफाई हो पाती थी। बारिश के दिनों में पशुओं का आहार भी खराब हो जाता था। साथ ही बारिश मे भीगने से पशुओं को कई बीमारियाँ भी हो जाती थी। घास-पूस की छत से निर्मित टप्पर के नीचे फर्स भी कच्चा होता था। जानवरों द्वारा त्यागा गया मल-मूत्र उस कच्ची मिट्टी में गंदगी व कीड़ों को जन्म देता था। जिससे जानवरों के साथ-साथ परिवार के सदस्य भी बीमार हो जाते थे।
यह हितग्राही आगे बताते है कि हर वर्ष कच्चे पशु आश्रय को बनाने एवं पशुओं के बीमार हो जाने पर उन्हे आर्थिक हानि होती थी, लेकिन अब मनरेगा अंतर्गत पक्के पशु आश्रय पाकर वह प्रसंन्न व निश्चिंत हैं।
साथ ही अधिक जानकारी देते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत खण्डवा अमित तोमर द्वारा बतलाया गया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष से प्रारंभ की गयी पशु आश्रय उपयोजना अंतर्गत जिले में 2786 हितग्राहियों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। जिनमें से 513 हितग्राहियों को 15 जनवरी तक पशु आश्रय का लाभ दिया जा चुका है। अन्य पशु आश्रय के कार्य प्रगति पर है। जल्द ही शासन की इस योजना का लाभ सभी पात्र हितग्राहियों को दिया जाकर पशुपालन को प्रोत्साहित किया जावेगा।  
भगवानपुरा के पंचायत सचिव अंकित पालीवाल का कहना है कि ग्रामीणों द्वारा निरंतर इस योजना का लाभ लिये जाने हेतु उत्साह दिखाया जा रहा है। ग्राम पंचायत में पदस्थ उपयंत्री धर्मेन्द्र सावले बताते है कि पशु आश्रय के निर्माण में सामग्री अधिक लगती है एवं श्रमिक कम जिसमें मनरेगा के प्रावधान अंतर्गत श्रम का अनुपात संधारित नही हो पाता है अतः ग्राम पंचायत मे जितने पशु आश्रय दिये जाते हैं, उन्हीं की तुलना में मेढ़ बंधान जैसे श्रममूलक कार्य अनिवार्यतः करवाये जा रहे हैं। जिससे पंचायत स्तर पर मनरेगा के प्रावधान अंतर्गत 60ः40 के अनुपात को संधारित किये जाने के साथ-साथ हितग्राहियों को पशु आश्रय का भी लाभ मिल रहा है।
टीप:- फोटो क्रमांक 2101141 मेल की गई है।         
 क्रमांक: 112/2014/112/वर्मा

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