दानदाता के नाम पर शासकीय भवन, संस्था के नामकरण नियमों का सरलीकरण
खंडवा (30 जनवरी, 2014) - राज्य शासन ने शासकीय अधिकारियों द्वारा जन-हित के काम के लिये चंदा एवं दान एकत्रित किये जाने तथा दानदाता के नाम पर शासकीय भवन एवं संस्थाओं के नामकरण संबंधी नियमों में सरलीकरण करते हुए संशोधन किया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्ष, संभागीय आयुक्त, कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को इस संबंध में निर्देश जारी किये हैं।
संशोधित नियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी विद्यालय के भवन के लिये पूर्ण राशि दान में देता है तो उस भवन का नाम दानदाता के या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के नाम पर रखा जायेगा। जिला योजना समिति से अनुमोदन के बाद संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा नामकरण आदेश जारी किये जायेंगे। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति भवन का कुछ अंश बनाता है और उसका नामकरण स्वयं या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के लिये करना चाहता है तो जिला योजना समिति से अनुमोदन के बाद जिला कलेक्टर उस अंश/कक्ष के नाम पर शिलालेख दानदाता के नाम पर लगवाये जाने की अनुमति देंगे। यदि कोई व्यक्ति विद्यालय के पूर्ण भवन के लिये आवश्यक भूमि दान देता है तो भूमि का कोई मूल्यांकन किये बिना उस भवन का नाम दानदाता या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के नाम पर रखा जायेगा। जिला योजना समिति के अनुमोदन के बाद जिला कलेक्टर द्वारा नामकरण के लिये आदेश जारी किये जायेंगे। यह निर्णय लेने के पहले कलेक्टर सुनिश्चित करेंगे कि जिस व्यक्ति के नाम का नामकरण प्रस्तावित है, वह व्यक्ति विवादग्रस्त छवि अथवा आपराधिक प्रवृत्ति का नहीं हो।
दानदाताओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से यह आवश्यक नहीं होगा कि निर्माण की राशि शासन के पास जमा की जाये। कलेक्टर द्वारा अनुमोदित मानचित्र के अनुसार दानदाता स्वयं ही निर्माण कार्य करा सकेंगे, लेकिन प्लान एवं डिजाइन आदि तैयार करते समय लोक निर्माण या पंचायत एवं ग्रामीण विकास (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग का सहयोग प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इससे भवन का लोक निर्माण या पंचायत एवं ग्रामीण विकास (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग या ग्राम-पंचायत की पुस्तिका पर अनुरक्षण लेने में कठिनाई नहीं होगी।
दानदाता द्वारा कलेक्टर को इस बात से संतुष्ट करवाना आवश्यक होगा कि निर्माण कार्य के लिये उनके पास पर्याप्त राशि उपलब्ध है। इसके लिये बैंक की गारंटी अथवा सम्पूर्ण राशि एक अशासकीय समिति के पास या एस्क्रो खाते में जमा करवाई जा सकती है, जिससे प्रस्तावित निर्माण कार्य पूरा करवाया जा सके। इस अशासकीय समिति में जिला कलेक्टर या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि (अपर या डिप्टी कलेक्टर) अध्यक्ष होंगे। दान इकट्ठा करने वाले दानदाता तथा उसके द्वारा नामांकित एक प्रतिनिधि, संबंधित विभाग का सहायक संचालक स्तर का एक अधिकारी और निर्माण कार्यों के मामले में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री समिति के सदस्य होंगे।
क्रमांक: 181/2014/181/वर्मासंशोधित नियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी विद्यालय के भवन के लिये पूर्ण राशि दान में देता है तो उस भवन का नाम दानदाता के या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के नाम पर रखा जायेगा। जिला योजना समिति से अनुमोदन के बाद संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा नामकरण आदेश जारी किये जायेंगे। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति भवन का कुछ अंश बनाता है और उसका नामकरण स्वयं या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के लिये करना चाहता है तो जिला योजना समिति से अनुमोदन के बाद जिला कलेक्टर उस अंश/कक्ष के नाम पर शिलालेख दानदाता के नाम पर लगवाये जाने की अनुमति देंगे। यदि कोई व्यक्ति विद्यालय के पूर्ण भवन के लिये आवश्यक भूमि दान देता है तो भूमि का कोई मूल्यांकन किये बिना उस भवन का नाम दानदाता या उसके द्वारा प्रस्तावित व्यक्ति के नाम पर रखा जायेगा। जिला योजना समिति के अनुमोदन के बाद जिला कलेक्टर द्वारा नामकरण के लिये आदेश जारी किये जायेंगे। यह निर्णय लेने के पहले कलेक्टर सुनिश्चित करेंगे कि जिस व्यक्ति के नाम का नामकरण प्रस्तावित है, वह व्यक्ति विवादग्रस्त छवि अथवा आपराधिक प्रवृत्ति का नहीं हो।
दानदाताओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से यह आवश्यक नहीं होगा कि निर्माण की राशि शासन के पास जमा की जाये। कलेक्टर द्वारा अनुमोदित मानचित्र के अनुसार दानदाता स्वयं ही निर्माण कार्य करा सकेंगे, लेकिन प्लान एवं डिजाइन आदि तैयार करते समय लोक निर्माण या पंचायत एवं ग्रामीण विकास (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग का सहयोग प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इससे भवन का लोक निर्माण या पंचायत एवं ग्रामीण विकास (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग या ग्राम-पंचायत की पुस्तिका पर अनुरक्षण लेने में कठिनाई नहीं होगी।
दानदाता द्वारा कलेक्टर को इस बात से संतुष्ट करवाना आवश्यक होगा कि निर्माण कार्य के लिये उनके पास पर्याप्त राशि उपलब्ध है। इसके लिये बैंक की गारंटी अथवा सम्पूर्ण राशि एक अशासकीय समिति के पास या एस्क्रो खाते में जमा करवाई जा सकती है, जिससे प्रस्तावित निर्माण कार्य पूरा करवाया जा सके। इस अशासकीय समिति में जिला कलेक्टर या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि (अपर या डिप्टी कलेक्टर) अध्यक्ष होंगे। दान इकट्ठा करने वाले दानदाता तथा उसके द्वारा नामांकित एक प्रतिनिधि, संबंधित विभाग का सहायक संचालक स्तर का एक अधिकारी और निर्माण कार्यों के मामले में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री समिति के सदस्य होंगे।
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