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Wednesday 26 February 2014

कलेक्टर ने उन्नत तकनीक श्री विधी का निरीक्षण कर की प्रशंसा

कलेक्टर ने उन्नत तकनीक श्री विधी का निरीक्षण कर की प्रशंसा
कृषि विस्तार अधिकारियों को अन्य कृषकों को प्रेरित करने के दिए निर्देश, किसानों ने सांझा किए अनुभव, कहा कम लागत में हुआ बेहतर उत्पादन
खण्डवा | 25-फरवरी-2014

    मंगलवार को कलेक्टर नीरज दुबे ने ग्राम केहलारी एवं रोहणी में श्री विधी (SWI) की उन्नत तकनीक का प्रयोग कर किसानों द्वारा उगाई गेहूं की फसलों का जायला लेकर प्रशंसा की। कलेक्टर दुबे ने इस तकनीक का प्रयोग करने वाले ग्राम केहलारी के किसान सतीश सैनी और ग्राम रोहणी के किसान हीरालाल जागेश्वर से चर्चा कर इस तकनीक के बारे में पुछताछ की और उनके इस नवाचार की प्रशंसा की।
    कलेक्टर दुबे ने मौकें पर मौजूद कृषि विस्तार अधिकारियों को अधिक से अधिक अपने क्ष़ेत्र के किसानों का इस तकनीक का प्रयोग के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आप भी अपने-अपने क्षेत्र में किसान चौपाल लगाए और कृषकों को इस तकनीक से होने वाले फायदों की जानकारी भी व्यवहारिक से दे। साथ ही इसके सैंद्धातिक लाभ भी बताए।
    उल्लेखनीय है कि रबी मौसम में जिलें के तकरीब 200 से अधिक किसानों ने किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के अंतर्गत संचालित आत्मा परियोजना के अधिकारियों, बीटीएम एवं एसएमएस के मार्गदर्शन में अपने खेतों में श्रीविधी से बीजोपचार कर गेहूं की बुआई की थी। इसके बेहतर परिणाम किसानों को देखनें को मिलें ।
   रोहणी के किसान हीरालाल जागेश्वर ने कलेक्टर श्री दुबे से अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि-सर मैंने विगत दो वर्षों पूर्व से ही खेती का कार्य प्रारंभ किया है, जब मैंने इस विधी से बीजोपचारित कर बुआई का कार्य प्रारंभ किया था तो गांव के किसानों ने मेरा मजाक उड़ाया था। पर आज मेरे खेत में बेहत्तर उत्पादन देखकर गांव के अतिरिक्त आस-पास के गांव के किसान भी मेरे खेतों में आकर इस पद्धति जानकारी ले रहे है साथ ही वे इसका अनुसरण करना चाहते  है।
    वहीं केहलारी के किसान सतीश सैनी ने अपने खेत पर कलेक्टर नीरज दुबे को देखकर यकायक आश्चर्यचकित हो गए। इस कलेक्टर श्री दुबे द्वारा उनसे इस पद्धति से हुए लाभ की जानकारी चाही उन्होंने अपने अनुभव साझां करते हुए बताया कि बुआई का यह तरीका अपनाने पर हमें जहां पहले एक एकड़ में 50 किलो बीज बोने होते थे। वहीं 10 किलों बीज पर ही हमारे एक एकड़ खेत की बुआई थी। जहां हमनें पहले पुराने पद्धति से खेती करने पर एक एकड़ में से महज 10-12 क्विंटल अनाज प्राप्त प्राप्त किया था। आज वहीं इस पद्धति के बाद लहलहाती फसल को देखकर हमें एक एकड़ में तकरीब 15-17 क्विंटल उत्पादन का अनुमान है। निरीक्षण के दौरान कृषि उप संचालक ओ.पी. चौरे, उप संचालक आत्मा शिवसिंह राजपूत, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. वाय. के. शुक्ला, बीज प्रमाणीकरण अधिकारी प्रणय व्यास उप परियोजना संचालक आत्मा सचिन जैन एवं राजेंद्रसिंह चौहान आदि मौजूद थे।

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