मनाया गया सशस्त्र सेना झण्डा दिवस
भूतपूर्व सैनिकों ने कलेक्टर श्री दुबे को बैच लगाकर किया शुभारंभ
संचालनालय सैनिक कल्याण भोपाल के निर्देशानुसार 7 की जगह 11 दिसम्बर को हुआ आयोजन
खंडवा (11 दिसम्बर) - भारत की स्वतंत्रता की शुरूआत से भारतीय जनता ने अपनी कृतज्ञता, प्रशंसा व निष्ठा सशस्त्र सेनाओं के प्रति व्यक्त की है और सशस्त्र सेनाओं के इतिहास को स्वतंत्रता दिवस के पूर्व से गौरवशाली बनाया है। जिनके सम्मान में स्वतंत्रता के बाद 1949 में केबिनेट ने एक निर्णय के द्वारा प्रतिवर्ष 7 दिसम्बर को पूरे भारत में सशस्त्र झण्डा दिवस मनाने का आदेश पारित किया था। लेकिन इस वर्ष संचालनालय सैनिक कल्याण भोपाल के निर्देशाुनसार सशस्त्र सेना झण्डा दिवस 11 दिसम्बर को मनाया गया।
सशस्त्र सेना झण्डा दिवस की शुरूआत भूतपूर्व सैनिक बी.देवल और चंद्रशेखर सोहनी ने कलेक्टोरेट कार्यालय पहुँचकर कलेक्टर नीरज दुबे को लैग बैच लगाकर की। इसके साथ ही भूतपूर्व सैनिकों और शहीद हुये सैनिकों की विभिन्न योजनाओं के लिये अनुदान राशि एकत्रित की।
सशस्त्र झण्डा दिवस का महत्व:- उल्लेखनीय है कि भारतीय सैनिक युद्ध तथा शांति के समय एक सजग प्रहरी की तरह अपनी सेवायें देते हैं। वे देश को जल, थल तथा वायु में बहुत ही कठिन परिस्थितियों तथा मुश्किल क्षणों में हर समय देश की सीमा की रक्षा करते हैं एवं भारती की अर्थव्यवस्था तथा भव्यता की रक्षा करने के लिये तत्प रहते हैं। अपनी अमूल्य सेवाओं के द्वारा बाढ़, भूकम्प, तूफान तथा प्राकृतिक विपदाओं के समय देश की सहायता करते हैं, साथ ही सिविल प्रशासन की दंगे तथा आतंकवाद की स्थिति मंे सहायता करते है। इस तरह सैनिक देश की रक्षा तथा सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाते है।
हमारी भारतीय सेना विभिन्न युद्धों में वीरता से लड़ती है तथा आतंकवाद और घुसपैठ रोकती है। युद्ध एवं सैनिक कार्यवाही के द्वारा वह अपनी स्वार्थ रहित सेवाओं के दौरान वीरगति को प्राप्त हो जाते है तथा कुछ अपंग हो जाते हैं जिससे कि उनके परिवार तथा वह स्वयं दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं तथा दूसरों पर बोझ बन जाते हैं और इज्जत की जिंदगी जीने से वंचित रह जाते हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात् हुए युद्धों में सैनिकों की तैनाती के दौरान अनेक सैनिक घायल और अपंग हुए है। इसलिय हमारा यह दायित्व बनता है कि उनके आश्रितों की उचित देखभाल हो और जो अपंग हो गये हैं उनका पुनर्वास हो ताकि वे अपने परिवार पर बोझ न बनें।
इन सैनिकों को विभिन्न तरह की बीमारियों के ईलाज के लिये व अंगों को बदलने के लिये बहुत ज्यादा राशि की आवश्यकता होती है, जो कि वे वहन नहीं कर पाते हैं। साथ ही अधिकांश सैनिक 35 से 40 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं परन्तु पारिवारिक दायित्व से मुँह नहीं मोड़ सकते हैं। भारत वर्ष में लगभग 60 हजार सैनिक प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त होते हैं जिनके उपर अपने परिवार का भरण पोषण करने का उत्तरदायित्व होता है।
बहुत से साहसी, निडर तथा जाबांज सैनिक अपने जीवन का बलिदान देश के लिये करते हैं। वर्तमान में चल रही घुसपैठ तथा आतंकवाद को रोकने के लिये घर परिवार को छोड़कर देश की सीमाओं पर डटे रहते हैं।
ऐसे वीर सैनिकों के परिवार जिन्होंने देश के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया है, के परिवार की देखभाल का उत्तरदायित्व हमारा तथा देश के हर नागरिक का है, इन बहादुर सैनिक के बलिदान को याद करने के लिये प्रतिवर्ष सशस्त्र सेना झण्डा दिवस 7 दिवस को मनाया जाता है, इस वर्ष 11 दिसम्बर को मनाया गया है। इस दिन नागरिक तहेदिल से इन सैनिकों तथा इनके परिवारों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करें। यह हमारी जिम्मेदारी भी है।
अनुदान राशि की जाती है एकत्र:- यह हमारा परम कर्तव्य है कि हम इन शहीद सैनिकों, सेवानिवृत्त सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याण के सदैव तत्पर रहें। सशस्त्र सेना झण्डा दिवस सभी सैनिकों तथा उनके परिवारों की सहायता के लिये हमें अपना योगदान देने के लिये उचित माध्यम है, ताकि हम इन सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को तथा आश्रितों की सहायता कर सकें। उपरोक्त कारण से वर्ष 1949 में केबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया कि हर वर्ष पूरे देश में झण्डा दिवस मनाया जायेगा। झण्डा दिवस के दिन पूरा देश इन वीर सैनिकों तथा इनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेगा इस दिन यही कोशिश की जाती है कि पूरे देश के नागरिकों द्वारा पूरे वर्ष धनराशि तथा अनुदान एकत्रित करके इन जवानों तथा इनके परिवारों के प्रति अपनी सहायता तथा योगदान प्रदान करें। इस कार्य के लिये केन्द्र में केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, राज्य में राज्य सैनिक बोर्ड, जिला स्तर पर जिला सैनिक बोर्ड यह पुनीत कार्य करता है।
इन कार्यों में होता है उपयोग:- इस दिन प्रतीक ध्वज तथा कार ध्वज विभिन्न सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थानों को वितरित किये जाते हैं उनसे पूरे वर्ष अनुदान प्राप्त किया जात है, जो कि सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याणार्थ उपयोग किया जाता है। कुछ कल्याणकारी योजनाएँ इस प्रकार है:-
§ युद्ध विधवाओं का व्यवस्थपन।
§ अपंग सैनिकों के लिये पुनर्वास।
§ शहीदों के पुत्र पुत्रियों हेतु शिक्षा एवं विवाह अनुदान।
§ वरिष्ठ एवं निराश्रित भूतपूर्व सैनिकों तथा विधवाओं का जीवन यापन।
अनुदान राशि पर आयकर से छूट:- उपरोक्त फण्ड में संचित जमा की राशि भारत सरकार रक्षा मंत्रालय के पत्र दिनांक 6 मार्च, 1959 तथा नोटिफिकेशन दिनांक 25 अक्टूबर, 1976 के अनुसार आयकर से पूर्ण रूप से मुक्त है। उपरोक्त राशि चैक या बैंक ड्राट या नगद भी भेजी जा सकती है, जो कि अमलगमेटेड स्पेशल फण्ड फाॅर रिकन्सट्रक्सन एवं रिहेबिलिटेशन आॅफ एक्स सर्विसमेन के खाते में जमा होती है और वर्ष भर सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याणर्थ उपयोग की जाती हैं।
टीप:- फोटो क्रमांक 1112134 तथा 1112135 मेल की गई हैं। क्रमांकः 54/2013/1348/वर्मा
भूतपूर्व सैनिकों ने कलेक्टर श्री दुबे को बैच लगाकर किया शुभारंभ
संचालनालय सैनिक कल्याण भोपाल के निर्देशानुसार 7 की जगह 11 दिसम्बर को हुआ आयोजन
खंडवा (11 दिसम्बर) - भारत की स्वतंत्रता की शुरूआत से भारतीय जनता ने अपनी कृतज्ञता, प्रशंसा व निष्ठा सशस्त्र सेनाओं के प्रति व्यक्त की है और सशस्त्र सेनाओं के इतिहास को स्वतंत्रता दिवस के पूर्व से गौरवशाली बनाया है। जिनके सम्मान में स्वतंत्रता के बाद 1949 में केबिनेट ने एक निर्णय के द्वारा प्रतिवर्ष 7 दिसम्बर को पूरे भारत में सशस्त्र झण्डा दिवस मनाने का आदेश पारित किया था। लेकिन इस वर्ष संचालनालय सैनिक कल्याण भोपाल के निर्देशाुनसार सशस्त्र सेना झण्डा दिवस 11 दिसम्बर को मनाया गया।
सशस्त्र सेना झण्डा दिवस की शुरूआत भूतपूर्व सैनिक बी.देवल और चंद्रशेखर सोहनी ने कलेक्टोरेट कार्यालय पहुँचकर कलेक्टर नीरज दुबे को लैग बैच लगाकर की। इसके साथ ही भूतपूर्व सैनिकों और शहीद हुये सैनिकों की विभिन्न योजनाओं के लिये अनुदान राशि एकत्रित की।
सशस्त्र झण्डा दिवस का महत्व:- उल्लेखनीय है कि भारतीय सैनिक युद्ध तथा शांति के समय एक सजग प्रहरी की तरह अपनी सेवायें देते हैं। वे देश को जल, थल तथा वायु में बहुत ही कठिन परिस्थितियों तथा मुश्किल क्षणों में हर समय देश की सीमा की रक्षा करते हैं एवं भारती की अर्थव्यवस्था तथा भव्यता की रक्षा करने के लिये तत्प रहते हैं। अपनी अमूल्य सेवाओं के द्वारा बाढ़, भूकम्प, तूफान तथा प्राकृतिक विपदाओं के समय देश की सहायता करते हैं, साथ ही सिविल प्रशासन की दंगे तथा आतंकवाद की स्थिति मंे सहायता करते है। इस तरह सैनिक देश की रक्षा तथा सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाते है।
हमारी भारतीय सेना विभिन्न युद्धों में वीरता से लड़ती है तथा आतंकवाद और घुसपैठ रोकती है। युद्ध एवं सैनिक कार्यवाही के द्वारा वह अपनी स्वार्थ रहित सेवाओं के दौरान वीरगति को प्राप्त हो जाते है तथा कुछ अपंग हो जाते हैं जिससे कि उनके परिवार तथा वह स्वयं दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं तथा दूसरों पर बोझ बन जाते हैं और इज्जत की जिंदगी जीने से वंचित रह जाते हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात् हुए युद्धों में सैनिकों की तैनाती के दौरान अनेक सैनिक घायल और अपंग हुए है। इसलिय हमारा यह दायित्व बनता है कि उनके आश्रितों की उचित देखभाल हो और जो अपंग हो गये हैं उनका पुनर्वास हो ताकि वे अपने परिवार पर बोझ न बनें।
इन सैनिकों को विभिन्न तरह की बीमारियों के ईलाज के लिये व अंगों को बदलने के लिये बहुत ज्यादा राशि की आवश्यकता होती है, जो कि वे वहन नहीं कर पाते हैं। साथ ही अधिकांश सैनिक 35 से 40 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं परन्तु पारिवारिक दायित्व से मुँह नहीं मोड़ सकते हैं। भारत वर्ष में लगभग 60 हजार सैनिक प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त होते हैं जिनके उपर अपने परिवार का भरण पोषण करने का उत्तरदायित्व होता है।
बहुत से साहसी, निडर तथा जाबांज सैनिक अपने जीवन का बलिदान देश के लिये करते हैं। वर्तमान में चल रही घुसपैठ तथा आतंकवाद को रोकने के लिये घर परिवार को छोड़कर देश की सीमाओं पर डटे रहते हैं।
ऐसे वीर सैनिकों के परिवार जिन्होंने देश के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया है, के परिवार की देखभाल का उत्तरदायित्व हमारा तथा देश के हर नागरिक का है, इन बहादुर सैनिक के बलिदान को याद करने के लिये प्रतिवर्ष सशस्त्र सेना झण्डा दिवस 7 दिवस को मनाया जाता है, इस वर्ष 11 दिसम्बर को मनाया गया है। इस दिन नागरिक तहेदिल से इन सैनिकों तथा इनके परिवारों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करें। यह हमारी जिम्मेदारी भी है।
अनुदान राशि की जाती है एकत्र:- यह हमारा परम कर्तव्य है कि हम इन शहीद सैनिकों, सेवानिवृत्त सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याण के सदैव तत्पर रहें। सशस्त्र सेना झण्डा दिवस सभी सैनिकों तथा उनके परिवारों की सहायता के लिये हमें अपना योगदान देने के लिये उचित माध्यम है, ताकि हम इन सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को तथा आश्रितों की सहायता कर सकें। उपरोक्त कारण से वर्ष 1949 में केबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया कि हर वर्ष पूरे देश में झण्डा दिवस मनाया जायेगा। झण्डा दिवस के दिन पूरा देश इन वीर सैनिकों तथा इनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेगा इस दिन यही कोशिश की जाती है कि पूरे देश के नागरिकों द्वारा पूरे वर्ष धनराशि तथा अनुदान एकत्रित करके इन जवानों तथा इनके परिवारों के प्रति अपनी सहायता तथा योगदान प्रदान करें। इस कार्य के लिये केन्द्र में केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, राज्य में राज्य सैनिक बोर्ड, जिला स्तर पर जिला सैनिक बोर्ड यह पुनीत कार्य करता है।
इन कार्यों में होता है उपयोग:- इस दिन प्रतीक ध्वज तथा कार ध्वज विभिन्न सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थानों को वितरित किये जाते हैं उनसे पूरे वर्ष अनुदान प्राप्त किया जात है, जो कि सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याणार्थ उपयोग किया जाता है। कुछ कल्याणकारी योजनाएँ इस प्रकार है:-
§ युद्ध विधवाओं का व्यवस्थपन।
§ अपंग सैनिकों के लिये पुनर्वास।
§ शहीदों के पुत्र पुत्रियों हेतु शिक्षा एवं विवाह अनुदान।
§ वरिष्ठ एवं निराश्रित भूतपूर्व सैनिकों तथा विधवाओं का जीवन यापन।
अनुदान राशि पर आयकर से छूट:- उपरोक्त फण्ड में संचित जमा की राशि भारत सरकार रक्षा मंत्रालय के पत्र दिनांक 6 मार्च, 1959 तथा नोटिफिकेशन दिनांक 25 अक्टूबर, 1976 के अनुसार आयकर से पूर्ण रूप से मुक्त है। उपरोक्त राशि चैक या बैंक ड्राट या नगद भी भेजी जा सकती है, जो कि अमलगमेटेड स्पेशल फण्ड फाॅर रिकन्सट्रक्सन एवं रिहेबिलिटेशन आॅफ एक्स सर्विसमेन के खाते में जमा होती है और वर्ष भर सैनिकों तथा उनके परिवारों के कल्याणर्थ उपयोग की जाती हैं।
टीप:- फोटो क्रमांक 1112134 तथा 1112135 मेल की गई हैं। क्रमांकः 54/2013/1348/वर्मा
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