AAPKI JIMMEDARI

AAPKI JIMMEDARI

Tuesday 17 December 2013

‘’सृजन की सार्थकता ’’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी आज से प्रदेश के ख्यातनाम सृजनकर्मी एवं साहित्यकार भी करेंगे शिरकत

‘’सृजन की सार्थकता ’’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी आज से
प्रदेश के ख्यातनाम सृजनकर्मी एवं साहित्यकार भी करेंगे शिरकत

खंडवा (17 दिसम्बर) - आदिकाल से सृजन ने आपनी सार्थकता सिद्ध की है, समय, समाज और परिवेश के अनुरूप सृजन ने अपनी जिम्मेदारी बखुबी निबाही है। बदलती जीवन शैली, बढ़ते भैातिक एवं व्यक्तिवाद ने जीवन शैली में परिवर्तन किए है। आर्थिक और तकनीकि परिवर्तन ने जीवन शैली को वर्तमान समय में प्रभावित किया है, ऐसी स्थितियों में साहित्य सृजनकर्ता की भूमिका बहुत महत्तपूर्ण हो जाती है। इसी के मद्देनजर आकाशवाणी इन्दौर द्वारा 18 और 19 दिसम्बर 2013 को दो दिवसीय संगोष्ठी ’’सृजन की सार्थकता’’ विषय पर आयोजित की जा रही है। संगोष्ठी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की कर्मस्थली खण्डवा के गौरी कुन्ज सभागृह में शाम 06ः00 बजे से आयोजित है। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में प्रदेश के ख्यातनाम सृजनकर्मी सहित स्थानीय (खण्डवा) के साहित्यसेवी भी शिरकत कर सृजन की सार्थकता पर चिंतन, मनन और वैचारिक आदान-प्रदान करेंगे।
आकाशवाणी इन्दौर की कार्यक्रम प्रमुख श्रीमती डाॅ.रेखा वासुदेव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रथम सत्र यानि 18 दिसम्बर 2013 को आमंत्रित साहित्यकार हैं - पद्मश्री रमेश चन्द्र शाह, पद्मश्री मेहरून्निसा परवेज, श्री प्रो.रामप्रकाश त्रिपाठी, डाॅ.गीता नायक, श्री ध्रुव शुक्ल, डाॅ.बहादुर सिंह परमार।
दूसरे सत्र यानि 19 दिसम्बर 2013 को प्रतिभागी साहित्यकार होगें - डाॅ.नीरज दीक्षित, श्री गोविन्द गुंजन, डाॅ.प्रताप राव कदम, श्री सुनील चैरे ’’उपमन्यु’’, श्री अशोक गीते,  श्री भालचन्द जोशी,  श्री राघवेन्द्र सिंह राघव, श्री प्रमोद त्रिवेदी ’पुष्प’
दो दिवसीय इस संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.के.बी.एल.पाण्डेय करेंगे। डाॅ.वासुदेव ने बताया कि आकाशवाणी इन्दौर का साहित्यकारों, कलाकारों और सामान्य जन के प्रति अपने कर्तव्य और दायित्व है, जिन्हें पूरा करने और एक श्रेष्ठ लोक सेवा प्रसारक की जिम्मेदारी का निर्बाह करने के लिए आकाशवाणी इन्दौर प्रतिबद्ध है। भविष्य में अपने प्रसारण क्षेत्र के विभिन्न अँचलों में भी ऐसे आयोजन किए जाते रहें, यह आकाशवाणी इन्दौर का प्रयास रहेगा। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में सभी साहित्य प्रेमी और सृजनधर्मी सादर आमंत्रित है। 
क्रमांकः 76/2013/1369/वर्मा

No comments:

Post a Comment