योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई
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कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र में कमिश्नर ने दिए निर्देश
खण्डवा (2 जुलाई 2014) - शासन की एमसीटीएस (मदर एण्ड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम) योजना के अंतर्गत प्रत्येक गर्भवती महिला एवं नवजात बच्चों की ऑन लाइन एंट्री किए जाकर संस्थागत प्रसव एवं दोनों के स्वास्थ्य की पूरी सुरक्षा एवं उपचार किया जाता है। परन्तु यदि माता एवं बच्चे की ट्रेकिंग ही नहीं होगी तो स्वास्थ्य की देखभाल किस प्रकार होगी। जिन क्षेत्रों में गर्भवती मां एवं बच्चे की प्रविष्टि नहीं की गई है, उस क्षेत्र के चिकित्सा अधिकारी एवं एएनएम आदि के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। इस संबंध में कलेक्टर्स एवं संबंधित क्षेत्र के एसडीएम विशेष ध्यान दें।
कमिश्नर श्री संजय दुबे ने आज बुधवार को संभागायुक्त कार्यालय में संपन्न कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं महिला बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान उक्त निर्देश दिए। बैठक में कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला बाल विकास एवं सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में एमसीटीएस योजना की समीक्षा में पाया गया कि अलीराजपुर एवं झाबुआ जिले संभाग में सबसे पीछे हैं। गत सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार अलीराजपुर जिले में 40 प्रतिशत गर्भवती माताओं तथा 27 प्रतिशत बच्चों की प्रविष्टि नहीं की गई। इसी प्रकार झाबुआ जिले में 36 प्रतिशत गर्भवती माताओं एवं 13 प्रतिशत बच्चों की प्रविष्टि नहीं की गई। इसी प्रकार इस सप्ताह अलीराजपुर जिले में 29 प्रतिशत गर्भवती माताओं एवं 14 प्रतिशत बच्चों की प्रवृष्टि नहीं की गई। इसी प्रकार झाबुआ जिले में 31 प्रतिशत माताओं की प्रविष्टि नहीं की गई। बच्चों की टीकाकरण की समीक्षा में पाया गया 12 जून की स्थिति में बुरहानपुर में 14 प्रतिशत तथा झाबुआ में 20 प्रतिशत ही टीकाकरण हुआ।
कमिश्नर ने निर्देश दिए कि जब भी प्रशासनिक अधिकारी अपने क्षेत्र के दौरों पर जाएं तो वे उस क्षेत्र की गर्भवती माताओं एवं बच्चों की सूची लेकर जाएं तथा देखें कि सभी के टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच आदि की कार्रवाई की गई है अथवा नहीं। यदि यह कार्रवाई नहीं पाई जाती है तो संबंधित एएनएम, चिकित्सक, स्वास्थ्य अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
नवजात बच्चों में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग की समीक्षा में सर्वाधिक प्रयोग झाबुआ जिले में 81 प्रतिशत पाया गया। कमिश्नर ने कहा कि नवजात बच्चों में एंटी बायोटिक दवाओं का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए। इनके अधिक उपयोग से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जननी एक्सप्रेस सेवा का गर्भवती माताओं एवं बीमार बच्चों के उपचार के लिए अधिक से अधिक उपयोग किए जाने के निर्देश दिए गए।
स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की समीक्षा की
स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में कमिश्नर ने निर्देश दिए कि चालू शिक्षा सत्र में शासन की ओर से शासकीय विद्यालयों में दी जाने वाली निःशुल्क पुस्तकें, गणवेश तथा साइकिलें समय पर विद्यार्थियों को उपलब्ध करादी जाएं। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि जिला शिक्षा अधिकारी से विद्यालयों में पंजीकृत विद्यार्थियों का प्रमाण पत्र लिया जाए तथा उतनी ही संख्या में पाठ्य पुस्तकें मंगाई जाएं, अतिरिक्त पुस्तकें किसी हालत में न मंगाई जाएं। साइकिल की राशि अभिभावकों के खातों में पहुंच जाएं। गणवेश दिए जाने के संबंध में प्रयास किए जाएं कि गणवेश सिल कर प्रदान किए जा सकें। प्रति विद्यार्थी दो गणवेशों के लिए शासन की ओर से 400 रूपये की राशि प्रदान की जाती है।
छात्रवृŸिा वितरण की समीक्षा में पाया गया इस कार्य में धार जिले का प्रदेश में प्रथम एवं खरगोन जिले का पांचवा स्थान है। अलीराजपुर जिले का प्रदेश में 46वां, बुरहानपुर जिले का 45 वां, इंदौर जिले का 31 वां तथा खंडवा जिले का 29 वां स्थान है। इस पर कमिश्नर द्वारा संबंधित कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए कि कार्य में आ रही बाधा को दूर कर शत प्रतिशत छात्रवृŸिा का वितरण सुनिश्चित कराया जाए। प्रत्येक शासकीय विद्यालय में नियमित अध्ययन एवं गुणवŸाा पूर्ण शिक्षा प्रदाय के निर्देश दिए गए। प्रत्येक जिले में विभिन्न विषयों के श्रेष्ठ शिक्षकों को चिन्हित कर उनके द्वारा अन्य विद्यालयों में भी शिक्षण कराए जाने के निर्देश दिए गए।
प्रत्येक विद्यालय में शिक्षकों की उपलब्धता के विषय में कमिश्नर श्री दुबे ने संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा श्री केके पाण्डे को निर्देश दिए कि आगामी 15 दिनों में शिक्षकों का युक्ति-युक्तिकरण कर उनके पदस्थापना आदेश जारी कर दिए जाएं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा में पाया गया कि पूरे संभाग में अप्रेल 2013 में अति कम वजन वाले आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या 5448 थी जो अप्रेल 2014 में घटकर 3449 रह गई। इस अवधि में 1999 अति कम वजन के बच्चों वाले आंगनवाड़ी केन्द्र इस श्रेणी (रैड झोन) से बाहर आए। वर्तमान में संभाग के इंदौर जिले में अति कम वजन वाले आंगनवाड़ी केन्द्रों की संख्या 69, धार में 1204, झाबुआ में 102, अजीराजपुर में 350, खरगोन में 691, खण्डवा में 68, बड़वानी में 654 तथा बुरहानपुर में 308 हैं। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि सभी कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के हर संभव उपाय किए जाएं। इसके लिए समाज के पूरे सहयोग से सुपोषण अभियान का संचालन किया जाए।
प्रत्येक बच्चा आंगनवाड़ी केन्द्र आए तथा वहां उसे पोषण आहार एवं अन्य सुविधाएं मिलें। कमिश्नर ने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिए कि रैड जोन से बाहर आए आंगनवाड़ी केन्द्रों की सैम्पल चैकिंग कराई जाए जिससे दी गई जानकारी का सत्यापन हो सके। आंगनवाड़ी केन्द्रों का सही संचालन नहीं पाया जाने पर उनके कार्यकर्ता, संबधित सुपरवाइजर, सीडीपीओ आदि के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। कलेक्टर इंदौर श्री त्रिपाठी द्वारा सुपोषण अभियान को अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि सुपोषण अभियान के अंतर्गत महिला बाल विकास विभाग के सुपरवाइजरवार आंगनवाड़ी केन्द्र चिन्हित कर तथा तिथिवार कार्यक्रम तैयार कर अभियान संचालित किया जए।
क्रमांक/10/2014/1037/वर्मा
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