बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए आगे आयें
कलेक्टर श्री द्विवेदी ने नागरिकों से की अपील
खण्डवा 16 फरवरी, 2021 - बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देष में हजारों बालक व बालिकाओं को समय के पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांध कर माता पिता द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है। सरकार द्वारा इस कुरीति को समाज से पूर्णतः समाप्त करने के उद्देष्य से बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया है। कलेक्टर श्री अनय द्विवेदी ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों का विवाह निर्धारित आयु पूर्ण करने के बाद ही करें। उन्होंने बताया कि पुत्री की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में एवं पुत्र की शादी 21 वर्ष की आयु से कम उम्र में बिल्कुल न करें। उन्होंने नागरिकों से कहा है कि बाल विवाह होने की जानकारी मिलते ही तत्काल उसकी सूचना जिला प्रशासन को अवश्य दें।
कलेक्टर श्री द्विवेदी ने बताया कि इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधू दोनों पक्षों के माता पिता, भाई बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, बाजे वाले, घोड़े वाले, बाल विवाह से संबंधित विवाह पत्रिका छापने वाले प्रिटिंग प्रेस, हलवाई तथा बाल विवाह आयोजन से जुड़े सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जाती है। कलेक्टर श्री द्विवेदी ने नागरिकों से अपील की है कि वे बाल विवाह संबंधी किसी भी कार्यक्रम में ना तो शामिल हों और ना ही अपनी सेवाएं देवें। उन्होंने विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं तथा विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिटिंग प्रेस के संचालकों को सचेत किया कि वे पहले यह सुनिष्चित कर लें कि वर वधू की आयु बाल विवाह की श्रेणी में तो नही आती है। पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही शादियों की चिट्ठी छापी जायें। यदि संभव हो तो वर वधू की जन्म तिथि भी पत्रिका में मुद्रित करें। महिला बाल विकास अधिकारी श्रीमती नविता शिवहरे ने बताया कि बाल विवाह संबंधी प्रकरणों की सूचना तत्काल कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग खण्डवा में अथवा उनके दूरभाष क्रमांक 0733-2222140 पर देवें। सूचनाकर्ता की जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जावेगी।
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