सोयाबीन उत्पादक किसान भाईयों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 6 जुलाई, 2019 - उप संचालक कृषि श्री आर. एस. गुप्ता ने बताया कि संभव होने पर सोयाबीन की बौवनी चौडी क्यारी पद्धति या रिज फरौ पद्धति से ही करें, जिससे अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित ना हो। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि बौवनी के पश्चात सुविधा अनुसार कतारो के लिए अनुशंसित पर देशी हल से नालियॉ निकालें। सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों नाइट्रोजन सल्फर की पूति के लिए उर्वरको का प्रयोग संतुलित मात्रा में बौवनी के समय करें। इसके लिए सीड कम फर्टी सीड ड्रील का किया जा सकता है। सोयाबीन की बौवनी के लिए कतारो की दूरी 45 से.मी. रखे। उन्होंने सलाह दी है कि बौवनी के समय बीजो का उपचार अवश्य करें। इसके लिए अनुशंसित फफूंदनाशक है-पेनफ्लूफेन व ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन 1 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज अथवा थायरम व कार्बोक्सीन 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा थायरम व कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज का ही उपयोग करें।
उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि पीला मोजाईक बीमारी की रोकथाम के लिए सलाह यह है कि फफूंदनाशक से बीजोचार के साथ साथ अनुशंसित कीटनाश्क थायोमिथाक्सम 10 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज या इमिडाक्लोप्रिड 1.2 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज से भी उपचार करें। विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब सफेद सुंडी का प्रकोप हुआ था वहां के किसान विशेष ध्यान दें और व्हाईट ग्रब के वयस्को को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फिरोमोन ट्रैप का प्रयोग करे। बोवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 1.25 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज से बीजोपचार अवश्य करे। बौवनी के तुरंत बाद एवं सोयाबीन के अंकुरण पूर्व खरपतवार नाशक जैसे डाइक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा सल्फेन्ट्राझोन 750 मिली लीटर प्रति हैक्टर अथवा पेन्डीमिथालीन 3.25 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। फसल में नीला भृंग ब्लू बीटल का प्रकोप होने पर क्वीनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव कर नियंत्रण करें।
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