खुशियों की दास्तां
द्वारका के लिए जीवन रक्षक बना दस्तक अभियान
खण्डवा 28 जुलाई, 2019 - प्रदेष में इन दिनों लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और महिला बाल विकास विभाग द्वारा दस्तक अभियान संचालित किया जा रहा हैं। इस अभियान के तहत ए.एन.एम., आषा कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में प्रमुख रुप से बाल्यकालीन बीमारियों की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान कर उनके उपचार की व्यवस्था कर रही है ताकि कि बाल-मृत्यु दर मे प्रभावी कमी लाई जा सके। पिछले दिनों दस्तक अभियान का दल जब विकासखण्ड खालवा के ग्राम जामन्याकला निवासी श्री अमरसिंह के घर पहुंचा तो पूछताछ करने पर ज्ञात हुआ कि पुत्री द्वारका बहुत ही कमजोर स्थिति में है जिसकी उम्र 12 माह है । दल द्वारा उसके स्वास्थ्य की जांच की गई तो बच्ची का वजन मात्र 6 किलो था और हीमोग्लोबिन भी कम पाया गया। बच्ची के माता-पिता को समझाया तो पहले तो वे बच्ची द्वारका को अस्पताल ले जाने के लिये ही राजी नही हो रहे थे। द्वारका के माता पिता उस पर बाहरी प्रेतबाधा मानकर गांव के बाबा-ओझाओं से उसकी झाड़-फूक करवा रहे थे।
द्वारका की कमजोर हालत को देखते हुये दस्तक दल में शामिल ए.एन.एम. श्रीमती शारदा पाराषर, आषा कार्यकर्ता श्रीमती सुनिता कटारे तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का दस्तक ने बच्ची के माता पिता को बहुत समझाया तथा गांव के ही अन्य बच्चों का पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर स्वस्थ्य होने के उदाहरण दिए तो परिवारजन द्वारका को एनआरसी में भर्ती कराने के लिए राजी हो गये है। एएनएम ने तत्काल 108 जननी वाहन को कॉल कर गाड़ी बुलवाई और उसमें ले जाकर पोषण पुनर्वास केन्द्र खालवा में भर्ती करवाया गया। एनआरसी में डॉ. शैलेन्द्र कटारिया खालवा की देखरेख मे बच्ची का 14 दिवस तक नियमित रूप से जांच एवं उपचार किया गया। पोषण पुनर्वास केन्द्र में 14 दिन रहने के बाद बच्ची द्वारका का वजन बढकर साढे सात किलो हो गया। बच्ची अब स्वस्थ है और खाना भी ठीक से खाने लगी है। द्वारका के पिता अमरसिंह अब दस्तक अभियान का महत्व समझने लगे है और कहते है कि यह अभियान उनकी बच्ची के लिए जीवन रक्षक सिद्ध हुआ है।
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