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Monday 29 July 2019

विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत मीडिया कार्यशाला सम्पन्न

विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत मीडिया कार्यशाला सम्पन्न

खण्डवा 29 जुलाई, 2019 - विश्व स्तनपान सप्ताह आगामी 1 से 7 अगस्त तक मनाया जायेगा। स्तनपान से बच्चों को होने वाले लाभ के बारे में मीडिया प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रचार प्रसार के उद्देश्य से सोमवार को स्थानीय रणजीत होटल में एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में स्वस्थ्य भारत प्रेरक कार्यक्रम के जिला सलाहकार श्री प्रमीत चौपड़ा ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद पहले एक घंटे में नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। प्रसव के तत्काल बाद मॉं के स्तन से जो पीला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम निकलता है वह नवजात शिशुओं के लिए अमृत के समान होता है। उन्होंने कहा कि इस कोलेस्ट्रम में प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में होता है। इस अवसर पर सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती नविता शिवहरे, सीडीपीओ रूप सिंह सिसौदिया, पूजा राठौर व श्री नंदराम चौहान भी मौजूद थे। 
  जिला सलाहकार श्री चौपड़ा ने इस अवसर पर बताया कि बच्चें के जीवन में पहले 1000 दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण होते है, जिसमें गर्भावस्था की अवधि भी शामिल है। इन्हीं 1000 दिनों में बच्चें के दिमाग का विकास होता है, इसलिए इस अवधि में उसके सही पोषण का विशेष ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जन्म के पहले 6 माह में बच्चे को केवल स्तनपान करवाने से ही उसका पर्याप्त पोषण हो सकता है। पहले 6 माह में मॉं के दूध के अलावा बच्चे को पीने के लिए पानी या अन्य कोई खाद्य पदार्थ दिए जाने की आवश्यकता नही है। उन्होंने बताया कि 6 माह से 2 वर्ष की आयु में बच्चे को स्तनपान के साथ पूरक पोषण आहार भी दिया जा सकता है। श्री चौपड़ा ने इस अवसर पर कहा कि प्रायः अन्धविश्वास, रूढि़वादी एवं अज्ञानता के कारण हमारे देश एवं प्रदेश में माताएं बच्चो को जन्म के तुरंत बाद दूध नहीं पिलाती है। शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में सामान्यत ये देखा गया है कि प्री टर्म एवं सिजेरियन ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव होने से भी जन्म के तुरंत बाद स्तनपान नहीं करवाया जाता है।
कार्यशाला में सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती शिवहरे ने बताया कि मध्यप्रदेश में प्रति वर्ष जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4.8 लाख बच्चों को जन्म के तुरंत बाद जीवन रक्षक खीस मिलता है तथा 9.2 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते है। लगभग 8.2 लाख बच्चो को 6 माह तक केवल मॉं का दूध दिया जाता है तथा 5.8 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते है। उन्होंने बताया कि जन्म के तुरंत बाद स्तनपान न कराने तथा लगभग 24 घंटे देर से स्तनपान शुरू कराने से बच्चे की मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। सीडीपीओ सुश्री पूजा राठौर ने बताया कि समय पर बच्चों को स्तनपान कराकर शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। कार्यशाला में उन्होंने बताया कि खण्डवा जिले में संस्थागत प्रसव 81.8 प्रतिशत है उसके विरूद्ध जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान का प्रतिशत मात्र 30.6 प्रतिशत है। इस दौरान बताया कि महिलाओं को नवजात शिशु को जन्म के बाद, पहले एक घंटे में सही तरीके से स्तनपान कराने के प्रति महिलाओं को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। 
कार्यशाला में बताया कि स्तनपान सप्ताह के दौरान 1 अगस्त को गांव गांव में रैली का आयोजन किया जायेगा। इसके अलावा दीवार लेखन किया जायेगा तथा गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों में  गर्भवती महिलाओं को उनके घर जाकर जन्म के बाद, पहले एक घंटे के अंदर स्तनपान की समझाइश दी जायेगी तथा उसके परिवारजनों को फ्रेंडशिप बेंड बांधकर प्रेरित किया जायेगा। इसी तरह 2 अगस्त को गांव के स्व सहायता समूहों की सदस्यों से चर्चा, 3 अगस्त को सरपंच एवं पंचायत प्रतिनिधियों के घर जाकर फ्रेंडशिप बेंड बांधकर उन्हें प्रेरित किया जाएगा। आगामी 4 अगस्त को ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा तथा 6 अगस्त को मंगल दिवस के अवसर पर सफल स्तनपान कराने वाली महिलाओं से चर्चा की जायेगी। 

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