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Monday 29 July 2019

वर्षा ऋतु में जलजनित मौसमी बीमारीयों की रोकथाम के उपाय

वर्षा ऋतु में जलजनित मौसमी बीमारीयों की रोकथाम के उपाय

खण्डवा 29 जुलाई, 2019 - वर्षा ऋतु में संक्रामक रोग जैसे हैजा, उल्टी-दस्त, पैचिस, खसरा, मलेरिया, पीलिया आदि बीमारीयां उत्पन्न होने की संभावना रहती है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. डी.एस. चौहान ने बताया कि नदी, तालाब जैसे जल स्त्रोतों के पास जब लोग मल त्याग करते है तो मल में मौजूद रोगाणु पानी में मिल जाते है। जब लोग स्नान करते हैं, कपड़े धोते है या पशुओं को नहलाते है तो अनेक रोगाणु पानी में फैल सकते है। जब पीने के लिए या भोजन पकाने के लिए ऐसे प्रदूषित व गंदे जल का उपयोग किया जाता है, तो यह रोगाणु शरीर में प्रवेश कर कई प्रकार की बीमारियों से पीडि़त हो जाते जिसके काराण दस्त, हेजा, टायफाइड,  पीलिया, खूनी पैचिस, तथा कीड़े की बीमारी तथा आंव दस्त जैसी कई बीमारियां होती है ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. डी.एस. चौहान ने बताया कि वर्षा ऋतु में जल जनित रोगों से बचाव के लिए हमेशा शुद्ध जल का प्रयोग किया जाना चाहिए। हेण्डपम्प का पानी सबसे सुरक्षित साधनों में से एक है। पानी को हमेशा छानकर व उबालकर इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। कुंओं के पानी में नियमित ब्लीचिंग पाउडर डाला जाना चाहिए। साथ ही पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में ही रखना चाहिए। पानी के बर्तन को प्रतिदिन साफ करें तथा पानी को दोहरे कपड़े से छानकर भरा जाना चाहिए। पानी निकालने के लिए लम्बे हेण्डिल वाले बर्तन का प्रयोग करें तथा पीने के पानी में हाथ न डाले। एक घड़े या मटकें में एक क्लोरीन गोली पीसकर डालना चाहिए। आधे घण्टे तक इसे ढ़ककर रखने के बाद ही पानी पीने के लिए उपयोग करना चाहिए। उल्टी-दस्त रोग होने पर ओ.आर.एस. पेकेट एक लीटर स्वच्छ व शुद्ध पानी को घोलकर रोगी को पिलाना शुरू कर देना चाहिए। मरीज को 24 घण्टे के अन्दर यह घोल अधिक से अधिक मात्रा में पिलाना चाहिए व 24 घण्टे के बाद बचा हुआ घोल फेककर दूसरे पेकेट का घोल बनाना चाहिए। दूध पीने वाले शिशु को मॉं का दूध पिलाना बंद नहीं करना चाहिए। 

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