सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 18 जुलाई, 2019 - उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि सोयाबीन की फसल से सूखे की स्थिति में भूमि की नमी को संरक्षित करने के लिये वे शीघ्रताशीघ्र डोरा या कुलपा चलायें तथा मल्चिंग का प्रयोग करें। साथ ही सलाह दी गई है कि अधिक समय तक वर्षा न होने पर सुविधानुसार सिंचाई की व्यवस्था करंे। उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि किसानों को सोयाबीन फसल पर पोटेशियम नाईट्रेट 1 प्रतिशत या ग्लिसरॉल या मेग्नेशियम कार्बोनेट 5 प्रतिशत का छिड़कांव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जहां पर सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की हो एवं बौवनी के तुरंत बाद उपयोगी अनुशंसित खरपतवार नाशकांे का प्रयोग नही किया हो, उन स्थानों में सोयाबीन की खड़ी फसल में अनुशंसित खरपतवारनाशक जैसे इमाझेथापायर 1 लीटर प्रति हेक्टेयर दर से चौड़ी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए का छिड़कांव करें। जिन किसानों के खेतों में केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार पाये जायें उन्हें सलाह दी गई है कि वे क्लोरीम्यूरान इथाइल 36 ग्राम प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें। जिन किसानों के खेतों में केवल सकरी पत्ती वाले खरपतवार की संख्या अधिक हो उन्हें सलाह दी गई है कि वे क्विजालोफाप इथाइल 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या क्विजालोफॉप-पी-टेफूरील 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या फेनाक्सीफॉप-पी-ईथाइल 0.75 ली. प्रति हैक्टेयर में से किसी एक का 500 लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट नोझल का उपयोग कर समान रूप से खेत मंे छिड़कांव करें। जहां पर फसल 15-20 दिन की हो कृषकगण खरपतवारनाशक के छिड़कांव के समय अनुशंसित कीटनाशक का मिश्रित कर सकते है, जिससे खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ आने वाले 30-40 दिनों तक कीट नियंत्रण प्रभावी हो सके। उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब अर्थात सफेद संूडी का प्रकोप हुआ था वहां के किसान विशेष ध्यान दें एवं व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फिरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। सोयाबीन के खेतों में जल भराव की स्थिति होने पर तत्काल जल निकासी की व्यवस्था करें।
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