बीजो का उपचार करके ही बुवाई करें किसान
खण्डवा 12 अक्टूबर,2015 - उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा कृषको से आगामी रबी सीजन में बोयी जाने वाली फसलो के शत्-प्रतिशत बीजो को जैविक कल्चर अथवा रासायनिक दवाइयो के द्वारा उपचारित कर ही बोने की सलाह दी गई है, क्यांेकि बीजोपचार करने से फसलो के बीज एवं मृदा जनित रोगो एवं कीटो की रोकथाम की जा सकती है। जैव उर्वरक जैसे राइजोवियम, पीएसबी तथा ट्राइकोडरमा द्वारा बीजोपचार किया जा सकता है। राइजोबियम कल्चर में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा बीजोपचार करने से दलहनी फसलो को वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण उसे घुलनषील नाइट्रोजन में परिवर्तित कर पौधो को उपलब्ध कराता है। जिससे दलहनी फसलो में अतिरिक्त नाइट्रोजन (यूरिया) डालने की आवश्यकता नहीं होती। पीएसबी कल्चर द्वारा उपचार करने से मृदा में स्थिर अवस्था में उपस्थित फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में बदल देता है। जो पौधो के लिये उपलब्ध होती है। इसी प्रकार ट्राइकोडरमा द्वारा उपचार करने से दलहनी फसल जैसे चना, मसूर, मटर में लगने वाले बिल्ट (उगरा) के नियंत्रण में उपयोगी होता है।
तीनो प्रकार के जैव उर्वरको का गोबर अथवा बर्मी खाद में मिलाकर बुवाई के पहले या सिंचाई के पहले खेत में छिड़काव करने से इनकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। तीनो जैव उर्वरको का 05-05 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से बीजोपचार करना चाहिये। उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया रासायनिक नियंत्रण में दलहनी फसलो के बीजो को दो ग्राम थायरम ़ एक ग्राम कार्बन्डाजिम की मात्रा को प्रति किलो बीज के हिसाब से मिलाकर बीजोपचार कर बुवाई करने से उगरा रोग का नियंत्रण होता है। इसी प्रकार गेहूँ में कंडवा रोग के नियंत्रण के लिये गेहूँ के बीज को बीटावेक्स नामक दवाई से 05 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करने से कंडवा रोग का नियंत्रण किया जा सकता है।
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