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Friday 30 October 2015

मिट्टी में नमी के संरक्षण के लिये किसान भाई मल्चिंग अपनायें

मिट्टी में नमी के संरक्षण के लिये किसान भाई मल्चिंग अपनायें 

खण्डवा 30 अक्टूबर,2015 - उप संचालक कृषि श्री ओ.पी.चौरे ने जिले में अल्पवर्षा के दृष्टिगत रबी फसल उत्पादन कार्यक्रम में किसानो को सतही एवं भू-जल के दक्ष उपयोग के लिये स्प्रिंकलर रैनगन के माध्यम से सिंचाई प्रबंधन करने की सलाह दी है। किसानो को जारी सामयिक सलाह में मिट्टी में संचित नमी के संरक्षण के लिये मल्चिंग पद्धति अपनाने पर जोर दिया गया है ताकि वास्पीकरण से नमी की क्षति को रोका जा सके। 
कृषि विशेषज्ञो द्वारा दी गई सलाह के अनुसार बीज उपचार क्लोरोमेक्वाट (लिहोसिन) एक एम0एल0 प्रति किलाग्राम बीज की दर से प्रयोग करने से सूखा सहन करने की क्षमता बढती है। जिले में अल्पवर्षा के फलस्वरूप दलहनी फसलो एवं जौ की खेती को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है। किसानो से कहा गया है कि बीज एवं मृदा का उपचार दलहनी फसलो में राईजोबियम टीका एवं धान्य फसलो में एजोटोवैक्टर टीका से करे। जबकि पी. एस.’बी. कल्चर का उपयोग सभी प्रकार की फसलो मे करे। दलहनी फसलो के लिये चयनित खेत का मृदा उपचार ट्राईकोडर्मा विरडी से तीन किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से करे ताकि उकठा रोग से बचाव हो सकंे। सीड कम फल्टीलाईजर ड्रिल से बोनी करे ताकि उर्वरक बीज के नीचे गिरे और पौधे उसका उपयोग कर सके। यदि खेतो मे संचित नमी है तो जीरो टिलेज मशीन का उपयोग करे ताकि पलेबा मे उपयोग किये जाने वाले जल की बचत हो सके।

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