कुपोषित बच्चों व महिलाओं के लिए ‘‘मुनगा‘‘ एक अनमोल उपहार
खण्डवा 19 जुलाई, 2019 - औषधीय गुणों से भरपूर मुनगे में विटामिन-ए, बी, सी एवं खनिज केल्शियम, आयरन, पोटेशियम और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है। मुनगा एक जीवाणु रोधक होने के साथ रक्तशोधक भी है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अच्छे स्वास्थ्य, नेत्र ज्योति बढाने में सहायक तथा ह्मदय रोगियों के लिए लाभकारी है। बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए मुनगा एक रामबाण सिद्ध हुआ है। मुनगा की पत्तियाँ शिशुओं और बढते बच्चों के लिए टॉनिक का कार्य करती है। इसकी पत्तियों का छना हुआ रस दूध में मिलाकर देने से बच्चों की हड्यिों को मजबूत एवं स्वस्थ्य होती है। मुनगे के नियमित सेवन से शरीर को आवश्यक केल्शियम, विटामिन एवं आयरन प्राप्त होता है। यह गर्भाशय की शिथिलता समाप्त करने में सहायक है। यह प्रसव को आसान बनाता है तथा प्रसव पश्चात की जटिलताओं को कम करता है।
मुनगे की फली के साथ साथ पत्ती, फूल व बीज भी खाने योग्य हैं
मुनगे की पत्ती, फूल, फली, बीज सभी खाने योग्य हैं। इसकी नई कोपल और फली का सब्जी के रूप में, फूलों का कढ़ी में, पत्तियों के सूखे चूर्ण को आटे में गूंथ कर रोटी बनाकर प्रयोग किया जा सकता है।
मुनगे में उपलब्ध पोषक तत्वों की अन्य खाद्य पदार्थो से तुलना
संतरे की तुलना मे 7 गुना अधिक विटामिन सी, दूध की तूलना में 17 गुना अधिक कैल्सियम, पालक की तुलना मे 25 गुना अधिक आयरन, केले की तुलना मे 15 गुना अधिक पोटेशियम, गाजर की तुलना में 4 गुना अधिक विटामिन ए, दही की तुलना में 4 गुना अधिक प्रोटीन होता है।
पौधा रोपण की विधि
अच्छे अंकुरण के लिए ताजे बीजों का उपयोग करना चाहिये। बीजों को रात भर पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है। मिट्टी, खाद एवं रेत तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पोलीथीन बैग में दो बीज एक इंच की गइराई पर लगाना चाहिये। लगभग 30 दिन तक पौधे को थैली में बढने दें। इसके बाद 1.5 फुट गहरा, 1.5 फुट चौडा गड्ढा कर इसके अंदर मिट्टी, खाद एवं रेत को बराबर मात्रा में मिलाकर, पौधे को इस गड्ढे में रोपित करें। लगभग 6 माह बाद पौधे से फलियाँ प्राप्त होने लगती है तथा इनका उपयोग प्रारंभ किया जा सकता है।
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