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Friday 21 August 2015

सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु किसानों को सलाह

सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु किसानों को सलाह

खण्डवा 21 अगस्त,2015 -  उप संचालक कृषि ने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन फसल में अर्द्वकुंडलाकार इल्ली (सेमीलुपर), चक्रभृंग इल्ली (गर्डल बीटल) कपास में सफेद मक्खी और मक्का एवं ज्वार फसल मंे माहो (एफीड) का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर से कम पाया गया। कहीं-कहीं पर यह भी पाया गया कि गर्मी में बोए गए कपास के पत्ते लाल हो रहे हैं। उन्होंने ने खरीफ फसल सोयाबीन, मूंग, उडद में सफेद मक्खी द्वारा फैलाया जाने वाला पीला मोजेक रोग नियंत्रण के लिए रोगग्रसित पौधों को खेत से बाहर निकालकर गाड़ देने की सलाह दी है। सफेद मक्खियों की रोकथाम के लिए इमीडाईक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 600 मिली/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा है।
       उप संचालक कृषि ने किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी फसलों की सतत् निगरानी करें एवं सोयाबीन में अर्द्वकुंडलाकार इल्ली (सेमीलुपर), चक्रभृंग इल्ली (गर्डल बीटल) के नियंत्रण के लिए ट्रायजोफॉस 40 ईसी 2 एमएल या क्यूनालफॉस 25 ईसी 3 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कपास में सफेद मक्खी एवं ज्वार, मक्का में माहो के नियंत्रण के लिए डायमिथोएट 30 ईसी 40 एमएल या इमिडाक्लोरप्रिड 17.8 एसएल 7 एमएल प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कपास में हो रहे लाल पत्तों के उपचार के लिए किसान यूरिया 2 किग्रा़जिंक सल्फेट 500 ग्राम़बोरॉन 200 ग्राम 100 लीटर पानी में घोल बनाकर कपास फसल पर 15 दिन के अंतराल पर 2 बार छिड़काव करें। 

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