गेहूं व चना उत्पादक किसानों को इल्ली से प्रकोप से बचाव की सलाह
खण्डवा 20 जनवरी, 2021 - पिछले कुछ दिनों से मौसम में हो रहा बदलाव फसलों पर भारी पड़ सकता है। जिससे फसलों पर कीट व्याधियों के प्रकोप होने का खतरा मंडराने लगा है। उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने किसानों को सलाह दी है कि बदलते मौसम में चने में कटुआ इल्ली का प्रकोप हो सकता है। यह इल्ली हरे अथवा भूरे रंग की होती है जो रात में निकलकर पौधे की शाखाओं को काटकर गिरा देती है। इसके नियंत्रण के लिए 1 लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी दवा 1 हैक्टेयर में छिड़काव करें एवं नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग नहीं करें। उन्होंने बताया कि गेहूं फसल में आर्मीवर्म एवं माहू का प्रकोप हो सकता है आर्मीवर्म की नवजात इल्लियां छोटे पौधों की जड़ के पास से एवं गेहूं की बालियों को काटकर गिरा देती है। हवा के झोको के साथ यह अधिक नुकसान पहुंचाती है। इसके नियंत्रण के लिए इमामैक्टीन बेन्जोएट 250 ग्राम को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें। गेहूं फसल में ‘‘जड़ माहू‘‘ नामक इल्ली गेहंू की जड़ों को रस चूसकर 40 से 50 प्रतिशत तक पैदावार में गिरावट कर देती है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी कीटनाशक दवा सवा से डेढ़ लीटर प्रति हैक्टेयर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 180 मिली प्रति हैक्टेयर अथवा थायोमेथाक्जाम 25 डब्ल्यू जी की 125 ग्राम मात्रा का प्रति हैक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
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