किसानों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 30 जनवरी, 2021 - अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें, पूर्ण सिंचित समय से बुवाई तथा देर से बुवाई वाली किस्मों में अवस्था अनुसार अंतिम सिंचाई करें। अवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है। उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने बताया कि अत्यधिक देर से बोई गई फसल में खरपतवार विधि से सिंचाई करें अन्यथा फूल खिर जाते हैं, दानों का मुँह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है। इस कार्य के लिए श्रमिक उपलब्ध न होने पर, जब खरपतवार 2-4 पत्ती के हों तो चौडी पत्ती वाले के लिए 4 ग्राम मेटसल्फ्युरोंन मिथइल या 650 मिलीमीटर 2, 4-डी प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करें। संकरी पत्ती वालों के लिए 60 ग्राम क्लोडिनेफोप प्रोपरजिल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। छिडकाव के लिए स्प्रेयर में फ्लैट-फैन नोजल का इस्तेमाल करें। गेंहूँ में हेड ब्लाइट या लीफ ब्लाइट रोग आने पर प्रोपिकेनाजोल एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिडकाव करें। एक हेक्टेयर हेतु 250 मिली लीटर दवा तथा 250 लीटर पानी का उपयोग करें। गेंहूँ में आरमी वर्म के नियंत्रण हेतु ट्रईक्लोरोफॉन 55 प्रतिशत् का 300 मिली लीटर या डाईक्लोरोवॉस 76 प्रतिशत् ई.सी. का 150 मिली लीटर दवा का 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड की दर से छिडकाव करें।
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