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Friday 29 January 2021

वानिकी विकास के नए आयाम गढ़ता वन विभाग

 वानिकी विकास के नए आयाम गढ़ता वन विभाग

खण्डवा 29 जनवरी, 2021 - प्रदेश में स्थापित वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रभावी पहल की गई है। इसी का परिणाम है कि वनों के साथ-साथ इस पर आश्रित ग्रामीणों की स्थिति में सुधार परिलक्षित हुआ है। देश में सबसे अधिक बाघ इसी प्रदेश में है। पिछले साल बाघों की संख्या 526 होने के साथ प्रदेश को एक बार दोबारा टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है। इसी तरह तेंदुओं की संख्या के मामले में भी हमारे प्रदेश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य को पीछे छोड़कर तेंदुआ स्टेट दर्जा मिलने का गौरव हासिल किया है। प्रदेश में 3 हजार 421 तेंदुओं की संख्या पाई गई। देश में उपलब्ध तेंदुओं में से 25 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में पाए गए हैं। प्रदेश में 13 राष्ट्रीय उद्यान और 24 अभ्यारण्य स्थित है। मुकुन्दपुर में सफेद बाघ सफारी, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान-जू भोपाल और रायसेन में तितली पार्क है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर मध्यप्रदेश में 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर (64,68,900 हेक्टेयर) कुल वन क्षेत्र है, जो राज्य के भू-भाग का 30.72 फीसदी और देश के कुल वन क्षेत्र का तकरीबन 12.38 फीसदी है। प्रदेश की वन नीति-2005 से लागू है। 

7 करोड़ मानव दिवस का रोजगार

प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में हरेक साल तकरीबन 7 करोड़ मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। बाँस, चारा उत्पादन एवं लाख उत्पादन के माध्यम से एक लाख से अधिक ग्रामीणों को वानिकी गतिविधियों के माध्यम से आजीविका उपलब्ध कराई जा रही है। 

आत्म-निर्भर म.प्र. में विभाग की गतिविधियाँ

प्रदेश सरकार ने आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप-2023 के रूप में महत्वाकांक्षी पहल को मूर्त रूप देने के लिए वन विभाग द्वारा कार्य-योजना तैयार की जा रही है। इसमें ‘‘बफर में सफर‘‘ मुहिम के माध्यम से मानसून पर्यटन को बढ़ावा, टाईगर सफारी विकसित करना, लकड़ी व बाँस के प्र-संस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों का विकास, वन आधारित उद्यमों को प्रोत्साहन, उपयुक्त र्हैबिटेट में चीता को लाना, बाघों का घनत्व बढ़ाने और वन स्थिरता को बढ़ावा दिए जाने के लिए बाघों को अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में शिफ्ट करना, वनों के बाहर बृक्ष आवरण बढ़ाने में शासकीय गैर वन भूमि पर वृक्षारोपण की पहल और भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर पारदर्शिता को बढ़ाने जैसे कार्य किये जायेंगे।

विभाग वनों की सुरक्षा और अवैध कटाई को सख्ती से रोकने में जुटा हुआ है। वन्य-प्राणी संरक्षित क्षेत्रों में 1490 वायरलेस-सेट की लायसेंस को मंजूरी प्राप्त हो गई है। वन अपराधों की रोकथाम के लिए वृत्त मुख्यालय पर उडनदस्ता कार्यरत है। वन सुरक्षा में संयुक्त वन प्रबंधन समितियों का उपयोग भी किया जा रहा है। संवेदनशील क्षेत्रों में 329 वन चौकी, 4 जल चौकी, 387 बैरियर और 53 अंतर्राष्ट्रीय बैरियर के माध्यम से सुरक्षा और निगरानी की जाती है। इसके अलावा मैदानी अमले को 12 बोर की 2600 नई पंप एक्शन बन्दूक, 900 वायना कुलर, साढ़े पाँच हजार मोबाईल सिम और वन क्षेत्र वालों को 286 रिलाल्वर उपलब्ध कराए गए हैं, साथ ही विशेष सशस्त्र बल की तीन कंपनी भी तैनात रहती है। 

आलेख - डॉ. विजय शाह, मंत्री वन विभाग

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