सफलता की कहानी
‘‘अब के बरस सावन में... जानकी बाई चैन से रहेगी अपने पक्के घर में
खण्डवा 28 जून, 2018 - खण्डवा शहर के इंदौर नाका क्षेत्र में रहने वाली जानकी बाई के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना वरदान सिद्ध हुई है। पिछले 40-50 सालों से कच्ची झांेपड़ी में रहने वाली जानकी बाई बताती है कि हर साल बरसात शुरू होने के पहले से ही रातों की नींद इस चिंता में उड़ जाती थी कि कच्चे झोपड़े में बरसात कैसे कटेगी, पर गरीबी के कारण व चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मिली 2.50 लाख रूपये की मदद से आज पक्के मकान की मालिक बन गई है तथा घर में अपने बेटे सुनील , बहू व नाती पौतों के साथ बड़े आनंद से रह रही है। पक्के मकान के निर्माण में भी जानकी बाई एवं उसके पुत्र सुनील व बहू ने खुद मजदूरी करके लगभग 50 हजार रूपये की बचत कर ली, जिससे लगभग 3 लाख रूपये लागत से अपना पक्का मकान व स्वच्छ शौचालय भी उसने बनवा लिया है।
जानकी बाई बताती है कि बचपन में अपने मायके की गरीबी देखी तथा बचपन झोपड़ी में ही बीता। जब वह बड़ी हुई तो शादी के बाद भी झोपड़ी में ही रहने को मिला। चूंकि उसका पति भी मजदूरी करता था तथा गरीबी के कारण बमुष्किल घर का गुजारा हो पाता था। जानकी बाई बताती है कि कच्चे झोपड़े में परेषानी तो गर्मी और ठंड के मौसम में भी होती थी, लेकिन बरसात का मौसम तो उसकी रातो की नींद उड़ा देता था, क्योंकि जब बच्चे सो जाते थे और छत से पानी टपकता था तो उसे यह नहीं सूझता था कि वह क्या करे और रात में बच्चों को कहां ले जाये। बच्चे जब बड़े होने लगे तो घर के खर्चे भी बढ़ने लगे। इन खर्चो की पूर्ति के लिए अपने पति के साथ जानकी बाई भी मजदूरी करने लगी।
जानकी बाई अपने पति के साथ मजदूरी करके केवल इतना ही कमा पाती थी कि जैसे -तैसे परिवार का पालन पोषण हो रहा था। ऐसे में पक्के घर में रहना, जानकी बाई के लिए सपने जैसा ही था। वह सोचती थी कि पूरी जिंदगी तो झोपड़ी में निकल गई, क्या बुढ़ापा भी इसी तरह कष्ट में ही बीतेगा। तभी एक दिन वार्ड के पार्षद ने उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में बताया तो उसने पक्के मकान के निर्माण के लिए इस योजना में मदद दिलाने हेतु कहा। कुछ ही दिनों में जानकी बाई के आवास का प्रकरण स्वीकृत हो गया और आवास निर्माण के लिए 2.50 लाख रू. की मदद सरकार से उसे मिल गई। अभी कुछ दिन पहले ही मकान बनकर पूर्ण हो चुका है, जिसमें वह अपने बेटे सुनील, बहू व नाती पौतों के साथ सपरिवार मजे से रह रही है।
‘‘अब के बरस सावन में... जानकी बाई चैन से रहेगी अपने पक्के घर में
‘‘प्रधानमंत्री आवास योजना‘‘ की मदद से जानकी बाई बनी मकान मालकिन
खण्डवा 28 जून, 2018 - खण्डवा शहर के इंदौर नाका क्षेत्र में रहने वाली जानकी बाई के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना वरदान सिद्ध हुई है। पिछले 40-50 सालों से कच्ची झांेपड़ी में रहने वाली जानकी बाई बताती है कि हर साल बरसात शुरू होने के पहले से ही रातों की नींद इस चिंता में उड़ जाती थी कि कच्चे झोपड़े में बरसात कैसे कटेगी, पर गरीबी के कारण व चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मिली 2.50 लाख रूपये की मदद से आज पक्के मकान की मालिक बन गई है तथा घर में अपने बेटे सुनील , बहू व नाती पौतों के साथ बड़े आनंद से रह रही है। पक्के मकान के निर्माण में भी जानकी बाई एवं उसके पुत्र सुनील व बहू ने खुद मजदूरी करके लगभग 50 हजार रूपये की बचत कर ली, जिससे लगभग 3 लाख रूपये लागत से अपना पक्का मकान व स्वच्छ शौचालय भी उसने बनवा लिया है।जानकी बाई बताती है कि बचपन में अपने मायके की गरीबी देखी तथा बचपन झोपड़ी में ही बीता। जब वह बड़ी हुई तो शादी के बाद भी झोपड़ी में ही रहने को मिला। चूंकि उसका पति भी मजदूरी करता था तथा गरीबी के कारण बमुष्किल घर का गुजारा हो पाता था। जानकी बाई बताती है कि कच्चे झोपड़े में परेषानी तो गर्मी और ठंड के मौसम में भी होती थी, लेकिन बरसात का मौसम तो उसकी रातो की नींद उड़ा देता था, क्योंकि जब बच्चे सो जाते थे और छत से पानी टपकता था तो उसे यह नहीं सूझता था कि वह क्या करे और रात में बच्चों को कहां ले जाये। बच्चे जब बड़े होने लगे तो घर के खर्चे भी बढ़ने लगे। इन खर्चो की पूर्ति के लिए अपने पति के साथ जानकी बाई भी मजदूरी करने लगी।
जानकी बाई अपने पति के साथ मजदूरी करके केवल इतना ही कमा पाती थी कि जैसे -तैसे परिवार का पालन पोषण हो रहा था। ऐसे में पक्के घर में रहना, जानकी बाई के लिए सपने जैसा ही था। वह सोचती थी कि पूरी जिंदगी तो झोपड़ी में निकल गई, क्या बुढ़ापा भी इसी तरह कष्ट में ही बीतेगा। तभी एक दिन वार्ड के पार्षद ने उसे प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में बताया तो उसने पक्के मकान के निर्माण के लिए इस योजना में मदद दिलाने हेतु कहा। कुछ ही दिनों में जानकी बाई के आवास का प्रकरण स्वीकृत हो गया और आवास निर्माण के लिए 2.50 लाख रू. की मदद सरकार से उसे मिल गई। अभी कुछ दिन पहले ही मकान बनकर पूर्ण हो चुका है, जिसमें वह अपने बेटे सुनील, बहू व नाती पौतों के साथ सपरिवार मजे से रह रही है।
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