सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 27 जून, 2018 - उपसंचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने बताया कि मानसून का आगमन हो चुका है, अतः सोयाबीन की बौवनी समयानुसार जल्द से जल्द करें। उन्होंने फसल में रोगों की रोकथाम हेतु फफूंद नाषक के रूप में थायरम व कार्बेन्डाजिम को अथवा थायरम व कार्बोक्सिन का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी है। श्री गुप्ता ने थायोमिथाक्सम 30 एफएस को 10 मि.ली. प्रति किलो बीज में मिलाकर बीज उपचार करने की सलाह किसानों को दी है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा ईमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस को 1.2 मि.ली. प्रति किलोग्राम दर से बीज में मिलाकर भी बीजोपचार किया जा सकता है। उपसंचालक कृषि श्री गुप्ता ने किसानों को सलाह दी है कि वे बोवनी के तुरंत बाद व सोयाबीन के अंकुरण के पूर्व खरपतवार नाषक के रूप में डाइक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हेक्टेयर या सल्फेन्ट्राजोन 750 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या पेंडीमिथालिन का 3.25 लीटर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि जहां सोयाबीन अकंुरित हो चुकी है वहां नीला भ्रंग कीट का प्रकोप होने की संभावना रहती है, इससे निपटने के लिए खेत में क्विनोलहोस 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि जहां पर सोयाबीन की फसल में सफेद सुन्डी का प्रकोप हुआ हो वहां किसान विषेष ध्यान दे तथा सफेद सुन्डी को एकत्र करने के लिए फेरोमोन ट्रेप का उपयोग करें।
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