सफलता की कहानी
मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना की मदद से अब ‘‘खुषी‘‘ रह सकेगी खुष
खण्डवा 27 फरवरी, 2018 - खण्डवा जिले के खालवा निवासी श्री राकेष मनाथे के घर बड़ी मन्नतों के बाद पुत्री ‘‘खुषी‘‘ का जन्म हुआ। घर में जन्म के कुछ दिन बाद तक तो हँसीखुषी का माहौल रहा , लेकिन जैसे-जैसे बालिका ‘‘खुषी‘‘ थोड़ी बड़ी होने लगी तो मॉं नयनतारा ने अनुभव किया कि खुषी को सांस लेने में कुछ परेषानी होती है और वह हॉंफने लगती है। मॉं नयनतारा ने यह बात अपने पति राकेष को बतायी तो वो भी चिंतित हो उठा। गांव के कुछ लोगों ने राकेष को बताया कि इस तरह के लक्षण उन बच्चों में पाये जाते है, जिनके दिल में छेद होने या ह्दय का वॉल्व खराब होने की समस्या होती है। यह सुनकर राकेष पर तो मानों बिजली गिर पड़ी क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चे के हृदय रोग का उपचार करा सके। उसने पहले खालवा फिर खण्डवा के सरकारी अस्पताल में बच्ची को दिखाया तो जांच उपरांत उसकी आषंका सही निकली और ‘‘खुषी‘‘ के दिल में 7.5 मिली मीटर का छेद होने की बात डाक्टरों ने उसे बतायी।
राकेष ने हृदय रोग विषेषज्ञ से सलाह की तो उन्होंने लगभग डेढ़ से दो लाख रूपये का खर्चा बताया। इतनी बड़ी राषि सुनकर चिंता में डूब गया क्योंकि उसकी छोटी सी जूते चप्पल की दुकान से वह इतना नहीं कमा पाता था कि बेटी के इलाज पर 2 लाख रूपये एक साथ खर्च कर सके। वह सोचता रहता कि कैसे वह 2 लाख रूपये की व्यवस्था कर पायेगा। एक दिन राकेष ने अखबार में मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना के बारे में पढ़ा तो अस्पताल जाकर चर्चा की और वहां आवेदन दिया। कुछ दिनों बाद उसकी पुत्री ‘‘खुषी‘‘ के उपचार हेतु 1.75 लाख रूपये का प्रकरण स्वीकृत हो गया। राकेष को इन्दौर के भंडारी अस्पताल में बेटी के हृदय रोग उपचार के लिए स्वीकृति पत्र गत दिनों खालवा में आयोजित विधिक सेवा षिविर में न्यायमूर्ति श्रीमती नंदिता दुबे ने सौंपा तो राकेष की खुषी का ठिकाना न रहा, क्योंकि उसकी बेटी खुषी अब इलाज के बाद खुष रह सकेगी।
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