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Wednesday 21 September 2016

कर्मचारियों को मलेरिया व डेंगू नियंत्रण के संबंध में दिया गया प्रषिक्षण

कर्मचारियों को मलेरिया व डेंगू नियंत्रण के संबंध में दिया गया प्रषिक्षण

खण्डवा 21 सितम्बर 2016 - विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों एवं सफाई कर्मियों को कलेक्टर श्रीमती स्वाति मीणा नायक के निर्देष पर डेंगू एवं मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के बारे में आवष्यक प्रषिक्षण दिया गया। जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती मनीषा जुनेजा ने बताया कि दो चरणों में आयोजित इस प्रषिक्षण कार्यक्रम में लगभग 200 से अधिक भृत्यों एवं सफाई कर्मियों को डेंगू व मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा के सर्वे के बारे में विस्तार से बताया गया। उपस्थित भृत्यों को विस्तार से समझाया गया कि किस तरह वे अपने कार्यालयों तथा अधिकारियों के निवास पर जहां वे तैनात है वहां डेंगू व मलेरिया के लार्वा को नष्ट करेंगे। उन्होंने बताया कि विभिन्न विभागों के भृत्यों को स्वास्थ्य व मलेरिया विभाग के दलों के साथ लगाकर डेंगू व मलेरिया सर्वे एवं लार्वा को नष्ट करने के कार्य में गति लाई जायेगी। 
जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती जुनेजा ने प्रषिक्षण के दौरान बताया कि डेंगू एवं चिकुनगुनिया एक संक्रमित मच्छर एडीज प्रभावी मादा मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है। डेंगू का वायरस डेन वायरस कहलाता है और चिकुनगुनिया का वायरस चिक के नाम से जाना जाता है। डेंगू का मच्छर एक दिन में 50 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है। डेंगू सामान्यतः ज्वर के रूप में शुरू होता है, वहीं चिकुनगुनिया में ज्वर के साथ जोड़ो में दर्द भी होता है। डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर साफ पानी में पैदा होता है और सामान्यतः यह दिन के समय काटता है। रोग ग्रस्त मरीज का अगर समय पर उचित इलाज न कराया जाए, तो डेंगू से जान भी जा सकती है। 
डेंगू रोग के लक्षण 
जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती जुनेजा ने प्रषिक्षण के दौरान बताया कि रोगी को अचानक तेज बुखार, कमर दर्द, जोड़ों में दर्द, सिर में असहनीय दर्द होता है। जी मचलाता है और उल्टी भी होती है, शरीर में छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। डेंगू जब घातक अवस्था में होता है तो शरीर पर लाल चकत्ते बन जाते हैं व नाक और दस्त में रक्त स्त्राव होने लगता है, ऐसी अवस्था में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सक से सलाह लेवें । 
बचाव के उपाय 
जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती जुनेजा ने प्रषिक्षण के दौरान बताया कि छत एवं घर के आसपास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार अपने कूलर्स, बाल्टी, टब आदि का पानी खाली कर, सुखाकर ही पानी भरें। पानी के बर्तन, टंकियों आदि को ढ़क कर रखें। घर के आस-पास के गड्ड़ों को मिट्टी से भर दें, पानी भरे रहने वाले स्थानों पर मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन का तेल डालें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनें व सामुदायिक स्थानों पर स्वच्छता का ध्यान रखें। डेंगू रोग जानलेवा हो सकता है, इसलिये उक्त लक्षण पाए जाने पर तुरंत सरकारी अस्पताल जाकर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

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