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Sunday, 21 March 2021

चुनौतियों को अवसर में बदलना तो कोई मुख्यमंत्री श्री चौहान से सीखे

 शिवराज सरकार - सफल एक वर्ष 

चुनौतियों को अवसर में बदलना तो कोई मुख्यमंत्री श्री चौहान से सीखे

खण्डवा 21 मार्च, 2021 - सदी की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा - कोरोना महामारी, जिसने समूचे विश्व को हिला कर रख दिया, से जूझना तथा उससे प्रदेश को सफलतापूर्वक न्यूनतम हानि के साथ बाहर निकाल ले जाना किसी भागीरथ प्रयास से कम नहीं था। कोरोना महामारी ने जन-स्वास्थ्य को तो प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया ही, प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी। ऐसे में नागरिकों को कोरोना से बचाव व उपचार के लिए निःशुल्क एवं उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा देना तथा दूसरी ओर लॉकडाउन से ध्वस्त व्यापार, व्यवसाय एवं सेवा क्षेत्र को नवजीवन देने का कठिन कार्य किया मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने। उन्होंने गंभीर चुनौती को अवसर में बदला तथा न केवल प्रदेश में कोरोना के संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोका, कोरोना पीडि़तों को सर्वश्रेष्ठ इलाज मुहैया कराया, टीकाकरण अभियान का सफल संचालन किया अपितु मृतप्राय अर्थ-व्यवस्था में नवजीवन का संचार भी किया। 

प्रवासी मजदूरों को रोटी, पानी, आवास , जूते चप्पल तक की व्यवस्था की प्रदेश सरकार ने

लॉक डाउन होते ही एक बड़ी समस्या थी, मध्यप्रदेश के मजदूरों का देश के कई राज्यों में फँसा होना और अन्य राज्यों के मजदूरों का मध्यप्रदेश में होना। इन सब के खाने, आवास, दवाइयों आदि की व्यवस्था कोई सरल कार्य नहीं था। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने इन प्रवासी मजदूरों को रोटी, पानी, आवास से लेकर उनके लिए जूते-चप्पलों तक की व्यवस्था करवाई। प्रदेश के मजदूर जहाँ फँसे थे, वहीं उनके खातों में सहायता राशि डाली गई। इसके बाद समय मिलते ही विशेष ट्रेन एवं बसों द्वारा सभी मजदूरों को मध्यप्रदेश वापस लाया गया। साथ ही दूसरे प्रांतों के मजदूरों को मध्यप्रदेश की सीमा पर छोड़ने के लिए भी हजारों की संख्या में बस लगाई गईं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प था कि ‘‘मध्यप्रदेश की धरती पर कोई भूखा नहीं सोएगा तथा कोई भी मजदूर पैदल चलकर अपने घर नहीं जाएगा‘‘। उन्होंने अपने दोनों संकल्पों को शत-प्रतिशत पूरा किया।

किसानों के खाते में सम्मान निधि जमा कर दिया आर्थिक सहारा

किसानों को केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाली सम्मान निधि की राशि 6 हजार रूपये वार्षिक के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने भी 4 हजार अपनी ओर से दिये जाना प्रांरभ किया। इससे किसान सम्मान निधि की राशि बढ़कर 10 हजार रूपये वार्षिक हुई और छोटे किसानों के लिए बड़ी राहत बनी।

चंबल एक्सप्रेस-वे व नर्मदा एक्सप्रेस-वे से प्रदेश के विकास की बढ़ेगी रफ्तार

अधोसंरचना विकास के लिए केंद्र के तत्संबंधी फंड का अधिक से अधिक उपयोग किया गया। चंबल एक्सप्रेस-वे को अटल प्रोग्रेस-वे बनाया गया। नर्मदा एक्सप्रेस-वे की भी योजना है। इन दोनों एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। 

एक दिन की मजदूरी में एक महीने का राशन दिलाया जा रहा है

रोटी के लिए एक दिन की मजदूरी में एक महीने का राशन दिलाया जा रहा है। शिवराज सरकार ने 37 लाख ऐसे गरीब परिवार जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा था, उन्हें यह उपलब्ध कराया। दीनदयाल रसोई योजना के अंतर्गत पका हुआ भोजन भी अत्यंत रियायती दर पर दिया जा रहा है। 

अगले 3 वर्षो में हर परिवार का होगा पक्का घर

शिवराज सरकार का लक्ष्य है आगामी 3 वर्षों में हर व्यक्ति को पक्का मकान दिलवाना। इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प है कि कोई भी व्यक्ति कच्चे मकान में नहीं रहेगा। इसके साथ ही लोगों को अपनी जमीन, मकान पर भू-स्वामित्व हक भी दिलवाया जा रहा है। जनजाति भाइयों को वन अधिकार पट्टे दिलवाए जा रहे हैं।

रिक्त पदों पर भर्ती और रोजगार मेलों के माध्यम से युवा बन रहे आत्म निर्भर

प्रदेश में खाली पड़े शासकीय पदों पर भर्ती के साथ ही निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने के लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हर जिले, हर ब्लाक में प्रतिमाह रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ बड़ी संख्या में युवक-युवतियों को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ श्रम सिद्धि अभियान में मनरेगा आदि योजनाओं के अंतर्गत अकुशल श्रमिकों को रोजगार दिलाया गया, वहीं रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से सभी को उनकी योग्यता के अनुरूप नियोजन मिल रहा है।

विपरीत परिस्थितियों में भी समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने का रिकार्ड बनाया

तीसरी बड़ी चुनौती थी, किसानों की पक चुकी फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने की। कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा था, ऐसे में यह कार्य आसमान से तारे तोड़ने जैसा ही प्रतीत होता था। श्री शिवराज सिंह चौहान की विशेषता है कि वे कभी हार नहीं मानते। उन्होंने असंभव से दिखने वाले इस कार्य को बखूबी पूरा किया और पंजाब राज्य को पीछे छोड़ते हुए मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक 1.29 करोड़ मी. टन गेहूँ की खरीदी की गई। 

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