मनरेगा अंतर्गत शांतिधाम निर्मित होने से सडियापानी केें ग्रामीणों को मिली राहत
खण्डवा 16 जून, 2015 - ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को वैसे तो उनके जीवनकाल में कई समस्याओं का सामना करना पडता है परंतु मृत्यु उपरांत भी कई ग्रामों में उनकी अंतिम क्रिया के लिये पुख्ता इंतजामों का आज भी अभाव है, ऐसी स्थति में ग्रामीणों को मृतक के अंतिम संस्कार हेतु किसी अन्य गांव ले जाना पडता है जहां शमसान घाट हो या खेतो में ही मृतक का दाह संस्कार करना होता है। हरसूद जनपद की ग्राम पंचायत सडियापानी पुलिस आबादी के ग्रामीणों को ऐसी ही समस्याओं से कुछ वर्ष पूर्व तक सामना करना पडता था। जब भी सडियापानी ग्राम में किसी की मृत्यु होती थी तो ग्रामीणों को पास के गांव बोरी बांदरी ले जाना पड़ता था, और वहां स्थित घोड़ा पछाड नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया जाता था।
ग्रामीण बताते है कि सडियापानी पुलिस आबादी से बोरी बांदरी जाते हुये कच्चे रास्ते से जाना पड़ता था और उस रास्ते मे दो नाले पडते थे लगभग 4 कि.मी की दूरी तय करने पर ष्मशान घाट आता था, और बारिश के दिनों में तो स्थिति अधिक विषम हो जाती थी, बारिश के दौरान गांव में ही आस-पास के खेत मे मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया जाता था। सडियापानी के निवासियों को इस समस्या से महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की शांति धाम उप योजना ने समाधान दिलाया है, शांतिधाम उपयोजना अंतर्गत सडियापानी में 4.95 लाख रू की लागत से पक्के शमशानघाट का निर्माण करवाया गया है साथ ही शमशान घाट के चारों और पत्थारों की दीवार बनायी गयी है एवं आधे एकड भूमी पर वृक्षारोपण किया गया है।
शमशानघाट के पास किये गये इस वृक्षारोपण में लगभग 350 पौधे लगाये जाकर उनकी उत्तरजीविता सुनिश्चिित की गयी है। मनरेगा अंतर्गत इस कार्य पर गांव के श्रमिको को 3 लाख रू मजदूरी भुगतान भी किया गया है। पौध रोपण हो जाने से यह स्थान शमशानघाट के स्थान पर एक उद्यान के जैसा प्रतीत होता है। ज्ञात हो कि मनरेगा अंतर्गत जिले में 83 शांतिधाम पूर्ण किये गये है जिनपर 275 लाख रू व्यय किया गया है एवं वर्तमान में 95 शांतिधामों का निर्माण प्रगतिरत है।
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