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Sunday 13 March 2016

जननायक टंट्या भील के स्मारक को और अधिक भव्य व उपयोगी बनाया जायेगा - मुख्यमंत्री श्री चौहान

जननायक टंट्या भील के स्मारक को और अधिक भव्य व उपयोगी बनाया जायेगा
- मुख्यमंत्री श्री चौहान




खण्डवा 13 मार्च, 2016 - पंधाना विकासखण्ड के ग्राम बड़ोदा अहीर में मुख्यमंत्री श्री षिवराज सिंह चौहान ने देष के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शहीद जननायक टंट्या भील के स्मारक पर जाकर श्रृद्धासुमन अर्पित किये। श्री चौहान ने इस अवसर पर टंट्या भील के परिवार की महिला श्रीमती सोनी को शॉल व श्रीफल प्रदान कर सम्मान किया तथा कहा कि उनके परिवारजनों को हरसंभव मदद दिलाई जायेगी। उन्होंने स्मारक भवन का जायजा लिया तथा इस स्मारक भवन को और भव्य व उपयोगी बनाने के लिए अधिकारियों को निर्देष दिये। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुये कहा कि प्रदेष सरकार शहीदों को पूरा सम्मान देने के साथ साथ उनके स्मारक भी बनवा रही है। श्री चौहान ने टंट्या भील स्मारक में शौध केन्द्र स्थापित करने तथा एक सुविकसित पुस्तकालय स्थापित करने की घोषणा भी इस अवसर पर की। इस अवसर पर श्री षिव गुप्ता ने टंट्या भील की जीवन गाथा को निमाड़ी भाषा में गाकर सुनाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री षिव गुप्ता को शॉल व श्रीफल प्रदान कर सम्मान किया।
इस दौरान क्षेत्रीय सासंद श्री नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेष के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री कुॅंवर श्री विजय शाह, विधायक पंधाना श्रीमती योगिता बोरकर, खण्डवा विधायक श्री देवेन्द्र वर्मा , मांधाता विधायक श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती हसीना भाटे, महापौर खण्डवा श्री सुभाष कोठारी तथा जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री हुकुम चंद यादव , जिला भाजपा अध्यक्ष श्री हरीष कोटवाले , जनपद अध्यक्ष श्रीमती कंचन बाई सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। 
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर कहा कि खण्डवा जिले में टंट्या भील के अलावा बड़वानी में भीमा नायक, जबलपुर में शंकर शाह, मुरैना में रामप्रसाद बिस्मिल तथा भावरा में चंद्रषेखर आजाद का स्मारक प्रदेष सरकार ने बनाया है। उन्होंने कहा कि टंट्या मामा ने आजादी के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया तथा गरीब लोगों की काफी मदद की, जिसके लिए लोग आज भी उनकी याद करते हैं। 
सांसद श्री नंदकुमार सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा कि जननायक टंट्या भील ने हमेषा गरीबों की मदद की इस कारण से उन्नीसवीं सदी में गरीब लोग जिस तरह टंट्या मामा का सम्मान करते थे, ठीक उसी तरह आज गरीबों के मसीहा के रूप में आज प्रदेष के गरीब लोग षिवराज मामा का सम्मान करते है। 

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