सफलता की कहानी
उद्यानिकी विभाग की सलाह पर चिंताराम ने जैविक खेती करना प्रारंभ की
जैविक खेती से उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में आया सुधार
खण्डवा 16 जुलाई, 2021 - खण्डवा जिले के ग्राम पुनासा निवासी कृषक श्री चिंताराम पिता तोताराम पूर्व में पारम्परिक खेती करते थे, जिसमें श्रम एवं समय अधिक लगता था। पिछले कुछ वर्षो से चिंताराम ने आधुनिक खेती अपनायी, जिसमें ड्रिप एवं मल्चिंग से खरबुजे की खेती के साथ ही कुछ जैविक उत्पादांे का भी प्रयोग किया। चिंताराम ने उद्यानिकी विभाग द्वारा आयोजित कृषक प्रशिक्षणों में भाग लिया एवं वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई नई-नई तकनीक का प्रयोग अपने खेत में किया। उसने वर्ष 2018-19 में उद्यानिकी विभाग की उद्यानिकी मिशन योजनान्तर्गत संरक्षित खेती मंे प्लास्टिक मल्चिंग का लाभ लिया। साथ ही वर्ष 2019-20 में उसने राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत वर्मी बेड का लाभ लिया। चिंताराम ने खेत में 30 प्रतिशत रासायनिक एवं 70 प्रतिशत जैविक उत्पादों का प्रयोग फसल उत्पादन में किया, जिससे उसे अच्छे परिणाम प्राप्त हुए।
वर्तमान में चिंताराम द्वारा 2 हेक्टेयर में खरबुजे की फसल ड्रिप एवं मल्चिंग पद्धति से बोई गयी। बीज की मात्रा 3.5 कि.ग्रा. लगी जिसकी राशि 60,000 रूपये, खाद एवं पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु दवाईयों का उपयोग किया, उनका खर्च 2,50,000 आया। इस प्रकार चिंताराम को कुल लागत 5,80,000 रुपये लगी, कुल उत्पादन 130 मैट्रिक टन रहा। मण्डी का भाव एवं व्यापारियों को अलग-अलग समय पर अलग-अलग भाव पर उत्पाद का विक्रय किया, जिससे उसेे कुल 18,20,000 रूपये का लाभ प्राप्त हुआ। खरबुजे की फसल के बाद चिंताराम ने अपने खेत में खीरा, कद्दु एवं गिलकी की बुवाई की गई। समय-समय पर उसके द्वारा उद्यानिकी अधिकारियों से चर्चा की जाती है एवं उसेे सही मार्गदर्शन दिया जाता है। नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर चिंताराम को अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है।
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