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Wednesday 22 July 2015

खरीफ फसलों की बोवाई शीघ्र पूरी करने की किसानों को दी गई सलाह

खरीफ फसलों की बोवाई शीघ्र पूरी करने की किसानों को दी गई सलाह 

खण्डवा 22 जुलाई,2015 - प्रदेश के कई जिलों में हुई वर्षा के बाद अब एक बार फिर खरीफ फसलों की बोवाई की संभावना बनी है। किसान भाइयों को चाहिये कि वे शीघ्र बोवाई पूरी करें। प्रदेश में वर्षा की स्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए फसलों की स्थिति में बड़ा सुधार होने की संभावना बताई गई है। प्रदेष के कृषि संचालक श्री मोहन लाल द्वारा मैदानी अमले को जारी निर्देशों के अनुसार वर्तमान में हुई वर्षा का लाभ लेकर किसानों को शीघ्र ही बोवाई पूरी करने के लिये प्रेरित किया जाये। किसानों को सलाह दी गई है कि जहाँ वर्षा की अधिकता हो, वहाँ जल निकास करें। उन्हांेने बताया कि खेतो में लम्बे समय तक पानी भरे रहने पर पौधों में फफूंदजनक बीमारियों से जड़े सड़ने लगती हैं। फफूंदजनक बीमारियों पर नियंत्रण हेतु कार्बन्डायजिम,डायथेम जैड-78 में से किसी एक दवा की मात्रा 2.5 से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर स्प्रे करें। सोयाबीन फसल में कीट व्याधि जैसे अदर््ध कुण्डलक इल्ली (सेमी लूपर),तम्बाकू इल्ली या गर्डल बीटल प्रति एक मीटर कतार में दो से तीन इल्लियां दिखाई दे तो क्यूनॉलफास 1.5 लीटर या ट्रायजोफास 40 ई.सी. 800 एम.एल. एवंप्रोपेनोफास 40 प्रतिशत और सायपरमेथिन 4 प्रतिशत एक लीटर कीटनाशक दवाई का 500-600 लीटर पानी का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर के मान से छिडकाव करें। इसके साथ ही किसान भाई अधिक जानकारी हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक तथा कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क करें।
उन्होंने बताया कि वर्तमान तापमान को देखते हुए यदि सोयाबीन की बोवाई की जाना आवश्यक हो तो देर से आने वाली किस्मों की बोवाई शीघ्र पूरी करें। अब सोयाबीन की फसल उसी स्थिति में बोयें जब सिंचाई के साधन उपलब्ध हो। 
        उप संचालक कृषि खण्डवा श्री ओ.पी.चौरे ने किसानों को समझाईष दी है कि बोये जाने वाले सभी मूंग, उड़द, ज्वार, मक्का, बाजरा, कोदो, रामतिल आदि बीजों का उपचार किया जाये। उपचारित बीजों के साथ कल्चर एवं पीएसबी का मिश्रण भी किया जाये। एक से अधिक किस्म बोने तथा अनावर्ती फसलें लेने पर किसान प्राकृतिक जोखिम की संभावना को कम कर सकते हैं। धान की रोपाई में भी जड़ों का उपचार किया जाना आवश्यक होगा।
क्रमांक/135/851/2015/षर्मा

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