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Tuesday 21 July 2015

पन्नी बीनने वाले बच्चे भी अब जुड़ेंगे शिक्षा से

पन्नी बीनने वाले बच्चे भी अब जुड़ेंगे शिक्षा से
जिला मुख्यालयों पर खोले जाएंगे आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र 

खण्डवा 21 जुलाई,2015 - भारत सरकार के प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड द्वारा 6 से 14 आयु वर्ग के शाला से बाहर के बच्चों के लिये प्रदेश के 10 संभागीय मुख्यालय पर 250 और 41 जिला मुख्यालय पर 100 सीटर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र स्वीकृत किये गये हैं। केन्द्र के लिये स्थल-चयन किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि निरूशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को शाला में प्रवेश करवाकर गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिलवाये जाने का दायित्व राज्य शासन का है। इसके लिये राज्य शासन ने अप्रवेशी और स्कूल छोड़ चुके बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये सभी जिला कलेक्टर को निर्देश दिये हैं।
इस क्रम में रेलवे स्टेशन एवं बस-स्टेण्ड के प्लेटफार्म पर रहने वाले, पन्नी बीनने वाले बच्चों को विशेष रूप से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़कर उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करवायी जायेगी। पलायन करने वाले परिवारों के तथा घर से भागे हुए बच्चों को आवासीय सुविधा देकर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करवायी जायेगी। विमुक्त एवं प्रीमिटिव ट्राइबल तथा वन ग्राम पट्टाधारी परिवार के बच्चों को भी ऐसी ही सुविधा दी जायेगी।
आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र का चयन
संभागीय जिला मुख्यालय पर 250 तथा जिला मुख्यालय में 100 बच्चों के लिये उपयुक्त रिक्त शासकीय भवन का चयन किया जायेगा। जिला मुख्यालय पर डाइस डाटा के आधार पर ऐसे शासकीय विद्यालय को चिन्हित किया जायेगा, जहाँ बच्चों की दर्ज संख्या कम और कमरे अधिक हैं। साथ ही ऐसे स्थान का चयन होगा, जहाँ या तो परिसर अथवा उसके नजदीक प्राथमिक/माध्यमिक शाला हो, ताकि बच्चों को आने-जाने में सुविधा रहे। चयनित स्थल के निकट स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। भवन में सुरक्षा एवं विद्युत की उपयुक्त व्यवस्था रहेगी।
चयन की गयी शाला अथवा सार्वजनिक भवन में प्राथमिकता के आधार पर शौचालय एवं बाथरूम में पानी और सफाई की नियमित और प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। केन्द्र में पेयजल की समुचित व्यवस्था तथा आसपास का वातावरण स्वास्थ्यवदर््धक रहेगा। भोजन बनाने की व्यवस्था संतोषजनक होगी। केन्द्रों के संचालन के लिये पहले जारी निर्देश यथावत रहेंगे। केन्द्र में रहने वाले प्रत्येक बच्चे पर सालाना अधिकतम 20 हजार रुपये खर्च किये जायेंगे। केन्द्र में दर्ज बच्चों के नाम का अनुमोदन कलेक्टर करेंगे। उसके बाद ही केन्द्र का संचालन होगा। संभागीय जिला मुख्यालय के अलावा जिला मुख्यालय के केन्द्रों में 6600 बच्चे रह सकेंगे।
क्रमांक/131/847/2015/षर्मा

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