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Saturday 26 April 2014

ग्रीष्मजन्य बीमारियों से बचें - एडवायजरी जारी

ग्रीष्मजन्य बीमारियों से बचें - एडवायजरी जारी

खण्डवा (26 अप्रैल, 2014) - भागदौड भरी जिंदगी में गर्मी के डर से घर में बैठा भी तो नहीं जा सकता। धूप की तपिश को देखते हुए यह जरूरी है कि पहले से ही इस मौसम के लिए अपनी तैयारी कर ली जाये। इससे मौसम के नकारात्मक असर से बचा जा सकेगा। ऐसे खुष्क और ऊष्ण मौसम में खान-पान और पहनावे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, ताकि लू और गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी से बचा जा सके। प्रायः शरीर में जल की कमी के कारण अनेक दिक्कतें पैदा होने लगती है। इसलिए इस मौसम में स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। गर्मी में लापरवाही के कारण शरीर में निर्जलीकरण, लू लगना, चक्कर आना, घबराहट होना, नकसीर आना, उल्टी-दस्त, घमौरियां जैंसी कई समस्याएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बारे में एडवायजरी जारी की गई है।
गर्मी से होने बाली बीमारियों से कैसे बचें :- रोग हो जाने के बाद उपचार से बेहतर पहले ही इससे बचाव कर लेना ठीक होता है। गरमी से बचने के लिये जहां तक हो सके, ये उपाय जरूर करें -
§ गर्मी में सूती हल्के रंग के कपडे़ पहनना चाहिये। गर्मी के मौसम में चमकदार भड़कीले और चटक रंग वाले कपडे़ गर्मी को अवशोषित करते हैं। जिससे शरीर की त्वचा जलने लगती है। इसके विपरीत हल्के रंग वाले सादे रंग उत्तम माने जाते है। खास कर पूरी गर्मी में सूती कपड़े पहनना चाहिये। यदि सूती कपडे़ उपलब्ध न हो तो ऐसे कपडे़ चुने जिसमें सूती का अंश अधिक हो। 
§ चेहरा और सर रूमाल या साफे से ढंक कर ही निकलना चाहिये। 
§ गर्मी में ज्यादा भारी या बासी भोजन कतई न करें, क्योंकि गर्मी में शरीर की जठराग्नि मंद-मंद रहती है। इसलिये भारी खाना और जरूरत से ज्यादा खाने से उल्टी दस्त की षिकायत हो सकती है। गरमी में गरम मसालों का उपयोग लौंग, जायफल, दालचीनी का उपयोग कम से कम करें।
§ गर्मी में जब घर से निकलें कुछ खाकर और पानी पीकर ही निकलें, खाली पेट तो बिलकुल नही। 
§ बाजार की ठण्डी चीजे नहीं, बल्कि घर की बनी ठण्डी चीजों का ही सेवन करना चाहियें। जैंसे- आम का पना, नीबू पानी, फलों का रस, संतरे का सरवत, ठण्डाई, सतू, दही की लस्सी, छांछ, गुलकंद का सेवन करना चाहिये।
§ हरी ताजी सब्जियों यथा लौकी, ककडी, खीरा, तुररई, पालक, पुदीना, नीबू, तरबूज, खरबूज, नेनुआ आदि का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिये।
§ शीतल जल का सेवन रोजाना चार से पांच लीटर मात्रा में करना चाहिये।
§ सफेद प्याज का सेवन तथा बाहर निकलते समय जेब में प्याज रखना चाहिये।
§ भोजन के समय पुदीना, प्याज, और कच्चे आम की चटनी अवश्य खांयें।
§ चाय और कॉफी का उपयोग कम से कम करें। शराब का सेवन यथासंभव न ही करें।
§ सुपाच्य खादय पदार्थों का सेवन करें। खिचडी में सब्जियां डालकर प्रतिदिन लें।
§ गर्मियों में सिरदर्द और अधकपारी बढ जाती है। जिन्हे सिरदर्द रहता है उन्हें धूप में नहीं निकलना चाहिये। यदि मजबूरन बाहर जाना ही है तो सिर पर टोपी, पगडी, अंगोछा, या कोई सूती कपडा रखकर ही निकलना चाहिये।
§ गर्मियों में त्वचा जनित समस्या से छुटकारा पाने के लिये हर्बल फेसपैक अपनायें। गर्मियों में धूप की बजह से चेहरे पर रूखापन आ जाता है। अधिक समय तक रूखापन बने रहने से त्वचा सबंधी रोगों की संभावनाएं बढ जाती हैं और इससे एलर्जी हो सकती है। 
§ गर्मी में शरीर के साथ ही आंखो पर भी ज्यादा नकारात्मक असर पडता है। इसलिये जरूरी है कि आंखों का भी खास ख्याल रखा जाये। धूप के चश्में (सन्ग्लासेस) का उपयोग जरूर करें।
क्रमांक: 191/2014/729/वर्मा 

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