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Thursday 11 May 2017

पेडो की जड़ो में रहती जल संग्रहण की क्षमता, सघन पौधरोपण से किया जा सकता है सूखी जलसंरचनाओं को पुर्नजीवित - कलेक्टर श्रीमती नायक

पेडो की जड़ो में रहती जल संग्रहण की क्षमता, सघन पौधरोपण से किया जा सकता है सूखी जलसंरचनाओं को पुर्नजीवित  - कलेक्टर श्रीमती नायक

खण्डवा 10 मई 2017 - किसान बच्चों के लिये खेती की जमीन छोडके जाते है यदि वह पेड़ों को भी अपना बच्चा माने और उन पेड़ों को खेतों में थोडी़-थोड़ी जमीन देकर उनको अपने खेतों में रोप दे तो वह पेड भी बडे होकर किसान का साथ देंगे। यह बात कलेक्टर श्रीमती स्वाति मीणा नायक द्वारा दिनंाक 10 मई को कृषि महाविद्यालय में आयोजित किसान मित्रों की कार्यशाला में कही गयी। कलेक्टर श्रीमती नायक ने सभी को बताया कि बरगद, पीपल, नीम जैसे पेडो की जड़ो में पानी को संग्रहित करने की क्षमता होती है और जब बारिश बंद हो जाती है उसके उपरांत यह पेड अपनी जडो से पानी का रिसाव जमीन में करते रहते है यही कारण है कि इन पेडो के पास लगे हेण्डपंप व अन्य जल स्त्रोतो में सदैव पानी बना रहता है। यदि किसान भी उनके खेतो की मेढ़ो पर पीपल, बरगद, नीम जैसे पेड लगायेंगे तो उनके खेतों की उपजाऊ मिट्टी का कटाव रूकेगा साथ ही खेतो के सिंचाई स्त्रोतो में पानी भी बना रहेगा। ज्ञात हो कि 10 मई को कृषि महाविद्यालय परिसर में आत्मा योजनान्तर्गत कृषि वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया था जिसमें बडी संख्या में जिले भर के किसान मित्रो व नाबार्ड के जलदुतो द्वारा सहभागिता की गई थी। कार्यशाला में कलेक्टर श्रीमती नायक द्वारा कृषि मित्रो से 25 वर्ष पूर्व की पर्यावरण व पेयजल की स्थिति की जानकारी ली गई। इस दौरान जामकोट निवासी श्री गजराज सिंह सोलंकी द्वारा बताया गया कि पहले उनके गांव में सभी पेयजल स्त्रोतो में पानी की उपलब्धता बनी रहती थी परन्तु जब से पेडो की कटाई और बोरिंग से सिंचाई प्रारंभ हुई है लगतार गांव में जलसंकट उत्पन्न होने लगा है। 
इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ.पी.पी. शास्त्री द्वारा बताया गया कि खेतो में सिंचाई के लिये व्यर्थ पानी नही बहाना चाहिए। पानी के जमाव से फसल की पैदावार में कमी होती है, टपक सिंचाई पैदावार के लिये बहुत उपयोगी है। डॉ. शास्त्री द्वारा कहा गया कि सभी किसान मित्र किसानो को उद्यानिकी फसलो से होने वाले फायदो की जानकारी देवे जिससे पारम्परिक खेती की तुलना में किसानो को अधिक लाभ संभव हो सकेगा। इस दौरान उपसंचालक, आत्मा श्री सोलंकी द्वारा किसानो मित्रो को आत्मा परियोजना की जानकारी दी गई व कम संसाधनो में कैसे अधिक फसल की पैदावार की जा सकती है इससे अवगत कराया गया। डॉ. आर.आई, सिसौदिया द्वारा सोयाबीन की खेती के वैज्ञानिक पहलुओं, सोयाबीन की बोवाई की जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान वाटरशेड परियोजना श्री धीरज कानुनगो द्वारा नजरी नक्शे के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रो जलसंरचनाओं के चिन्हांकन, आवश्यकता अनुरूप निर्मित होने वाली जलग्रहण सरंचनाओं की जानकारी दी गई। उपसंचालक, उद्यानिकी श्री पटेल द्वारा नमामि देवी नर्मदे अन्तर्गत किसानो को दिये जाने वाले फलोद्यान की जानकारी दी गई व बताया गया कि निमाड की जलवायु में किस प्रकार के फलो़द्यान आसानी विकसित हो सकते है । 

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