AAPKI JIMMEDARI

AAPKI JIMMEDARI

Saturday, 1 June 2019

ग्राम सभाओं में जल संरक्षण के प्रति ग्रामीणों को जागरूक किया जाये - सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्री नागेन्द्र

ग्राम सभाओं में जल संरक्षण के प्रति ग्रामीणों को जागरूक किया जाये
- सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्री नागेन्द्र
नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम संबंधी एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

खण्डवा 1 जून, 2019 - रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीणों को सरकार ने उनके ही गांव या आसपास के क्षेत्र में रोजगार की गारंटी दी है। नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम को रोजगार गारंटी योजना में शामिल करने से जहां एक ओर ग्रामीणों को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है, वही गांव में जल संरक्षण के कार्यो के साथ साथ अन्य निर्माण कार्य भी हो रहे है। जल संरक्षण के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता लाया जाना आवश्यक है। आगामी दिनों में होने वाली ग्राम सभाओं में जल संरक्षण के महत्व के बारे में ग्रामीणों को समझाया जायें। यह बात जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री डी.के. नागेन्द्र ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में शनिवार को आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित पंचायत सचिवों, रोजगार सहायकों व उपयंत्रियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारे देश में वर्षा तो पर्याप्त होती है लेकिन वर्षा के पानी को रोकने की सही प्लानिंग के अभाव में वर्षा का जल व्यर्थ बह जाता है। आवश्यकता गांव का पानी गांव में तथा खेत की मिट्टी खेत में रोकने की है। कार्यशाला में नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के लिए भोपाल से आए टास्क मेनेजर श्री अजय देशपाण्डे के अलावा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी व जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नागेन्द्र ने इस अवसर पर कहा कि यदि वर्षा का पानी गांव में रोका जाये तो उससे गांव के पेयजल स्त्रोतों व भूजल का स्तर तो भरपूर रहेगा ही। साथ ही वर्षा के पानी के साथ बहकर जाने वाली खेत की उपजाउ मिट्टी भी रूकेगी, जिससे किसानों का उत्पादन बढ़ेगा और किसान सम्पन्न होंगे। जिले में नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के तहत पहले चरण में खण्डवा, छैगांवमाखन व पुनासा विकासखण्ड के विभिन्न ग्रामों में पूर्व में बहने वाली ‘‘कावेरी नदी‘‘ को चयनित किया गया तथा इस सूख चुकी नदी के आसपास जल स्तर बढ़ाने के लिए 15.49 करोड़ रूपये लागत के कुल 619 कार्य स्वीकृत किए गए, जिनमें से 509 कार्य भौतिक रूप से पूर्ण भी कर लिए गए है तथा 110 कार्य प्रगतिरत है। लगभग 54 किलो मीटर लंबी कावेरी नदी का कैचमेंट एरिया 47091 हेक्टेयर है। उन्होंने बताया कि नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के तहत कावेरी नदी के बाद दूसरे चरण में जिले की ‘‘रूपारेल नदी‘‘ का चिन्हांकन किया गया, जो कि हरसूद व खालवा विकासखण्ड के विभिन्न ग्रामों से होकर बहती थी, लेकिन पिछले कई वर्ष से लगभग सूख चुकी है। रूपारेल नदी के पुर्नजीवन के लिए जनपद पंचायत, हरसूद द्वारा 70 एवं जनपद पंचायत, खालवा द्वारा 173 इस प्रकार कुल 243 कार्य स्वीकृत किए गए है, इन कार्यो की लागत 316.73 लाख रूपये है। 
टॉस्क मेनेजर श्री अजय देशपाण्डे ने इस अवसर पर कहा कि पहले नदी हमारे लिए जीवन दायिनी होती थी, लेकिन अब नदियों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो रहा है तथा नदी पुर्नजीवन के लिए हमे प्रयास करने पड़ रहे है। नदी बचाने व जल संरक्षण के लिए जरूरी है कि गांव में अधिक से अधिक पौधे लगाए जाये तथा जल संरक्षण की संरचनाए जैसे की स्टॉप डेम, चेक डेम, निस्तार तालाब, पोखर, खेत तालाब, नाला विस्तारीकरण, गली प्लगिंग, गेवियन स्टेªक्चर, कन्टूर ट्रेंच आदि निर्मित कराई जायें, ताकि वर्षा का जल इनमें रूके और गांव का जल स्तर भरपूर रहे। उन्होंने कहा कि पहले पहाड़ों पर पेड़ पौधे होते थे जिनकी मदद से वर्षा का जल पहाड़ों में अंदर जाता था। अब वृक्षों की कटाई के कारण पहाड़ बंजर हो गए, जिससे बरसात का पानी तेज गति से बहता हुआ नदियों में होता हुआ समुद्र में चला जाता है और गांव में वर्षा के बाद जल संकट उत्पन्न हो जाता है। आवश्यकता पहाड़ों पर कन्टूर ट्रेंच बनाकर उनमें बीज रोपण करने की है, ताकि पहाड़ हरे भरे रहे और उनमें पानी रूके, क्योंकि यही पानी गांव के पेयजल स्त्रोतों को समृद्ध बनायेगा।

No comments:

Post a Comment