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Tuesday 25 June 2019

सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह

सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए उपयोगी सलाह

खण्डवा 25 जून, 2019 - सोयाबीन की खेती करने वाले कृषक भाई ध्यान दे कि जिले में मानसून के आगमन की सूचना प्राप्त हुई है। उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने किसानांे को सलाह है कि लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें एवं बौवनी करते समय निम्न बातों का विषेष ध्यान रखें। मानसून की अनिष्चितता के कारण उत्पादन में स्थिरता हेतु सलाह है कि संभव होने पर सोयाबीन की बौवनी बी.बी.एफ. चौडी क्यारी पद्धति या रिज फरौ कुड मेड पद्धति से ही करें जिससे सूखे या अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित ना हो। सोयाबीन के लिए अनुषंसित पोषक तत्वों नत्रजनःस्फुरःपोटाषःसल्फर की पूर्ति के लिए उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में बौवनी के समय करें। इसके लिए सीड-कम-फर्टी सीड ड्रील का प्रयोग किया जा सकता है, जिसकी अनुपस्थिति में चयनित उर्वरकों का खेत में छिड़काव करने के पष्चात् बौवनी करें। सोयाबीन की बौवनी हेतु 45 से.मी. कतारो की दूरी परद तथा न्यूनतम 70 प्रतिषत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर 55 से 75 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। 
उप संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि बौवनी के समय बीज उपचार अवष्य करें। इसके लिए अनुषंसित फफूंदनाषक है। पेनफ्लूफेन व ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन 1 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा थायरम व कार्बोक्सीन 3 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा थायरम व कार्बेन्डाजिन 2ः1 3 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा जैविक फफूंदनाषक ट्राइकोडर्मी 10 ग्रा. प्रति क्रि.ग्रा.बीज मिलायें। तत्पष्चात् जैविक कल्चर ब्रेडीराइझोबियम जपोनिकम एवं रफूर घोलक जीवाणु दोनों प्रत्येक 5 ग्रा. प्रति क्रि.ग्रा.बीज की दर से टीकाकरण की भी अनुषंसा है। पीला मोजाईक बीमारी की रोकथाम हेतु सलाह है कि फफूंदनाषक से बीजोपचार के साथ - साथ अनुषंसित कीटनाषक थायोमिथाक्सम 30 एफ. एस. 10 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.2 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज) से भी बीज उपचार करंे। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर सफेद सूंडी का प्रकोप हुआ था उन क्षेत्रों के कृषको को सलाह है कि व्हाइट ग्रब के वयस्को को एकत्र कर नष्ट करने के लिए अपने खेतो में प्रकाश जाल अथवा फिरोमोन टैªप का प्रयोग करें। साथ ही बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. 1.25 मि.ली. प्रति किलो बीज से बीजोपचार अवश्य करें। बौवनी के तुरतं बाद एवं सोयाबीन के अंकूरण पूर्व खरपतवार नाषक जैसे डाईक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा सल्फेन्ट्राझोन 750 मि.ली. प्रति हेक्टेयर अथवा पेन्डीमिथालीन 3.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।  

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