AAPKI JIMMEDARI

AAPKI JIMMEDARI

Wednesday 30 December 2015

लोहारी व छैगॉव देवी में कृषक संगोष्ठी सम्पन्न

लोहारी व छैगॉव देवी में कृषक संगोष्ठी सम्पन्न


खण्डवा 30 दिसम्बर ,2015 - पूरे भारत वर्ष में दिनांक 23 से 29 दिसम्बर तक जय किसान जय विज्ञान सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के अंतिम दिन मंगलवार को कृषि विज्ञान केन्द्र व भगवंतराव मंडलोई कृषि महाविद्यालय, खण्डवा द्वारा ग्राम लोहारी एवं छैगॉवदेवी में कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया। बी.एम. कृषि महाविद्यालय, खण्डवा की अधिष्ठाता डा. मृदुला बिल्लौरे के मार्गदर्षन में इस सम्मेलन में कृषकों का विज्ञान के साथ तालमेल बढाकर फसल उत्पादन ब्ढाने सबंधी तकनीकी सलाह दी गई तथा सामयिक कृषिगत समस्याओं के समाधान हेतु उपाय सुझाये गये। 
ग्राम लोहारी में कार्यक्रम की षुरूआत करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, खण्डवा के प्रमुख डा. डी.के.वाणी ने कृषकों का आव्हान किया कि वे विज्ञान के साथ जुड़कर खेती करे  जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी नुकसान से बचा जा सके। डा. वाणी ने चने की जे.जी. 14 व गेंहूॅं की एम.पी. 4010 किस्मो की चर्चा करते हुए बताया कि ये जातियॉ ज्यादा गर्मी सहकर अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है। इसी प्रकार चने की जे.जी 130, जेजी 14 आदि किस्में है जिनमे सूखा रोग नही लगता हैं। उन्होने बताया कि अरबी के बीज को फफूंदनाषक के घोल में आधा घंटा भिगोकर उपचार करने से फसल में रोग प्रकोप नही होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डा. वाय.के.ष्षुक्ला ने मृदा परीक्षण के महत्व को बताया तथा मृदा स्वास्थ्य पत्रक के अनुसार उर्वरक प्रदाय करने की सिफारिष की। उन्होने उर्वरकों के पर्णीय छिटकाव से यथा संभव बचने और आधार रूप में बुआई के समय उर्वरक देने की वकालत की। डा.ष्षुक्ला ने पोषक तत्व प्रबन्धन हेतु आवष्यक बातें बतलाई।
कृषि विज्ञान केन्द्र के आर्थिकी विषेषज्ञ डा. एम.के. गुप्ता ने खेती में लागत करने के लिए पोषक तत्वों का प्रबन्धन जैविक उर्वरक या जीवाणु खाद से करने का उपाय सुझाया। उन्होने खेत में नरवाई जलाने के दुष्परिणमों का उल्लेख किया। ग्राम छैगॉव देवी में प्रगतिषील कृषक श्री भगवान पटेल के सहयोग से कार्यक्रम में डा. वाणी ने गेंहॅू में सिंचाई जल की आपूर्ति व कुएॅ व नलकूपों के समय पूर्व सूखने के कारणों की चर्चा करते हुए बताया कि वर्षाजल के जमीन में रिसाव में कमी आने के कारण ऐसा हुआ है अतः खेतों को जैविक खाद डालकर नरम बनावें ताकि अपनें खेत में आये  वर्षाजल को अपना खेत पूरी तरह सोख सके। उन्होने मेंढ बंधान, खेत के ऊपरी हिस्से में नाली निर्माण तथा खेत-तालाब की तकनीकों की भी चर्चा की। डा. वाय.के.ष्षुक्ला ने पोषक तत्व की कमी से होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए खेत में जिप्सम डालने, सिंगल सुपर फास्फेट से फास्फोरस आपूर्ति की बात कही। उन्होने फसलों में तत्वों की कमी के लक्षण भी बतलाये। इस कार्यक्रम के आयोजन में ग्राम लोहारी में श्री जायसवाल जी ने तथा ग्राम छैगॉवदेवी में श्री भगवान पटेल व देवीदास पटेल ने सहयोग किया।  

No comments:

Post a Comment