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Friday 11 December 2015

फली छेदक इल्लियों के प्रकोप से बचाव हेतु किसानों को सलाह

फली छेदक इल्लियों के प्रकोप से बचाव हेतु किसानों को सलाह

खण्डवा 11 दिसम्बर ,2015 - उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री ओ.पी.चौरे ने बताया कि अरहर की फसल मे फली छेदक इल्ली का प्रकोप हो सकता है। ये इल्लियां फलियो के हरे ऊतको को खाती है व बड़े होने पर कलियो, फूलों, फलियो व बीजो को नुकसान पहुंचाती है। इल्लियां फलियों पर टेढे़मेढ़े छेद बनाती है, इस कीट की मादा छोटे सफेद रंग के अंडे देती है। इल्लियां पीली-हरी, काली रंग की होती हैं तथा इनके शरीर पर हल्की गहरी पट्टियां होती हैं। अनुकूल परिस्थितियों चार सप्ताह में एक जीवन चक्र पूर्ण करती है। 
      उप संचालक कृषि श्री चौरे ने बताया कि इल्लियांे पर नियंत्रण हेतु किसान भाईयों को प्रकाष प्रपंच लगाना चाहिए, फेरोमेन प्रपंच लगाना चाहिए, पौधों को हिलाकर इल्लियों को गिराना चाहिए एवं उनको इकट्ठा करके नष्ट करना चाहिए। खेतों में चिडि़यों के बैठने के लिये टीके आकार की 5 फिट ऊंची लकड़ी भी लगाना चाहिए। इल्लियों को समाप्त करने के लिये ब्यूबेरिया बेसियाना की 1.5 किलोग्राम या बैसिलस थूरेंजेसिस की 1 किलोग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर  पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं। आवष्यकता पड़ने पर ही कीटनाषक दवा का छिड़काव या भुरकाव करें। सर्वांगीण कीटनाषक दवाओं का छिड़काव करें जैसे इण्डेक्साकार्व 14.5 एस.सी. की 500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या रैनोक्सीपायर 20 एस.सी.की 100 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या क्लोरोपायरीफॅास 20 ई.सी. या क्यूनालफॉस 25 ई.सी. की 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या इमामिक्टीन वेन्जोंऐंट 5 प्रतिषत एस.सी. 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की मात्रा का छिड़काव करे। उक्त दवाईयों का छिड़काव 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर सुबह 11 बजे से पहले एवं शाम को 6 बजे के बाद करें।

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