अल्प वर्षा से प्रभावित 1.50 लाख किसानों को 140 करोड़ रूपये की राहत वितरित
खण्डवा , 19 दिसम्बर 2015 - जिले में खरीफ फसल में अनियमित वर्षा से हुई नुकसान 1,50,000 कृृषकों को अभी तक 140.00 करोड़ की राशि वितरित की जा चुकी है। खण्डवा जिले के इतिहास में इतनी बड़ी धनराशि पहली बार वितरित हुई है। कुछ वर्गो में राशि वितरण की जानकारी न होने के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। कलेक्टर डा. एम.के.अग्रवाल ने बताया कि राशि की गणना एकड़ मंे न होकर हेक्टेयर के मान से की जाती है। राजस्व पुस्तक परिपत्र के नियमों के अनुरूप 0 से 2 हेक्टेयर तक के किसानों को रूपये 8हजार रूपये प्रति हेक्टेयर तथा 2 हेक्टेयर से अधिक के कृषकों को 6800 रूपये प्रति हेक्टेयर के मान से राशि वितरित की जाती है। शासन निर्देशानुसार एक कृषक को न्यूनतम 2 हजार रूपये तथा अधिकतम रूपये 60,000 तक देने के निर्देश है। राहत राशि की गणना कृषकों के द्वारा धरित किए जाने वाले रकबे पर नहीं अपितू उसके द्वारा बोयी गई फसल के रकबे पर गणना की जाती है। खण्डवा जिले में कुछ 1,70,000 हेक्टेयर में सोयाबीन बोयी गई थी। औसत के मान से यह राशि लगभग 125 करोड़ रूपये होती है। जो वितरित की जा चुकी है। शेष मिर्च एवं अन्य फसलों की नुकसानी में वितरित की गई है।
कलेक्टर डा. अग्रवाल ने बताया कि राहत राशि केवल बोयी गई फसल हेतु ही दी जाती है। जिन किसानों द्वारा कुल रकबे में से खाली भूमि छोड़ी गई है, उसकी गणना राहत राशि में नहीं की गई है। इस प्रकार जिला प्रशासन द्वारा खण्डवा जिले के किसानों को पर्याप्त राशि दी गई है। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन किसानों को फसल बीमा राशि दिलाए जाने हेतु भी निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने किसान बंधुओं से अनुरोध है कि इसके बावजूद भी यदि किसी किसान की गणना राशि में कोेई लिपिकीय अथवा कम्प्यूटर त्रुटि की आशंका हो तो वह इस बाबत् संबंधित तहसील के तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व से सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते है।
कलेक्टर डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खण्डवा जिले के सभी तहसीलों को जिला प्रशासन के प्रस्ताव अनुसार सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है, जिसमें मनरेगा के अंतर्गत एक परिवार को 150 दिवस की मजदूरी की पात्रता है। 19 दिसम्बर को प्राप्त लेबर रिपोर्ट अनुसार जिले की मजदूरी का सार्वाधिक आंकडा है। मांग अनुसार इसे लगातार बढ़ाने के प्रयास जारी है। इसी प्रकार आगामी ग्रीष्म ऋतु हेतु पेयजल व्यवस्था की कार्य योजना बनाकर शासन को प्रेषित कर दी गई और शासन प्रशासन का पूरा प्रयास रहेगा कि किसी भी ग्राम में पेयजल की समस्या नहीं आने दी जाएगी और इसी प्रकार की एक योजना पशुओं के चारे एवं पानी के लिए भी बना ली गई है।
No comments:
Post a Comment