मनरेगा योजना से मिला अदिवासी अंचल के किसानो को रेशम उत्पदन का लाभ
सामान्य फसल की तुलना में कई गुना हुआ मुनाफा
खण्डवा (25,नवम्बर,2014) - खण्डवा जिले के आदिवासी अंचल खालवा में रेशम उत्पादन के प्रति किसानों का रूझान बढता जा रहा है । मनरेगा योजना ने आदिवासी अंचल के किसानों को रेशम उत्पादन के प्रति प्रोत्साहित किया है। यह एक ऐसा रोजगार है जो कम लागत में अधिक उत्पादन देता है जिससे किसान कृषि की ओर कम ध्यान देकर रेशम उत्पादन के व्यवसाय की ओर अधिक ध्यान दे रहे है। यह स्वरोजगार के क्षेत्र में बडी उपलब्धि बनने जा रहा है। खालवा अंचल में अभी तक 23 कृषक इस व्यवसाय को अपना कर अधिक से अधिक आय अर्जित कर रहे है। जहां एक ओर खेती में किसान दो से तीन फसल की ही उपज लेकर रह जाता था । वही ंआज मलबरी (शहतूत) पौधा रोपण करके साल में 6 बार उत्पादन ले सकता है। यह कार्य पूर्व में रेशम एवं उद्योग संचानालय द्वारा मजदूरी पर कराया जाता था। लेकिन इस अभिसरण योजना में कृषकों की भागीदारी को शामिल कर लाभ एवं स्वरोजगार का धंधा बना दिया गया है । एक वर्ष में छः बार कटने वाला मलबरी (शहतूत) का पौधा रेशम के कोकून (इल्ली ) पालन के लिए होता है कोकून (इल्ली ) से एक बार में कृषक को 25 से 30 हजार रूपये की आय होती है ।
मनरेगा योजना अंतर्गत कृषकों को रेशम उत्पादन हेतु 1.82 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की जाती है जिसके माध्यम से किसानों को पांच वर्ष के लिये शहतूत के पौधे दिये जाते है एवं इनके रोपण, निंदाई गुडाई व पौधों हेतु दवा की व्यवस्था की जाती है। खालवा जनपद की ग्राम पंचायत गारबेडी के कृषक चंपालाल झोलू बताते हैं कि उनके द्वारा मलबरी पौधा रोपण एक एकड में किया गया है जिसमें दो बार कोकून ले लिया गया है। वह बताते है कि अन्य फसल की अपेक्षा मलबरी पौधा रोपण में ज्यादा मूनाफा होता है शासन की इस महती योजना से खेत में काम करने वाले मजदूरों की भी शासन द्वारा भुगतान किया जाता है पौधों में पानी की व्यवस्था के लिए खर्च होने वाली बिजली बिल की व्यवस्था भी शासन करती है। वह आगे बताते है कि पहले वह साडे चार एकड जमनी में सोयाबीन एवं गेहू कि फसल उत्पादित करते थे जिससे उन्हे इतना लाभ नही होता था। मनरेगा याजना कीइस उपयोजना के तहत अब उन्हे घर बेठे लाखों रूपये का मूनाफा होने लगा है इस आय से में वह उनके दो बच्चों को खण्डवा में अच्छी शिक्षा दिलवा रहे हैं। भविष्य में पूरे खेत में मलबरी पौधा रोपण करने की योजना बना रखी है।
खालवा में मलबरी पौधा रोपण के लिए किसानों में ललक है प्रति कृषक 1ण्87(लाख )लागत से उनके खेतों में मलबरी का पौधा रोपण करवाया जाता है इस व्यवसाय बिना किसी लागत व मेहनत के सालाना लाखों रूपये कमाये जा सकते है । पौधा रोपण से पहले कृषकों को उच्च सलाह एवं प्रशिक्षण दिया जाता है इस कार्य के लिए रेशम विभाग द्वारा संबंधित हितग्राही को कोकून पालन के लिए एक शेड बना कर दिया जाता है जिसमें कोकून की बेहतर तरीके से देखभाल की जा सके यह योजना दो विभागो की अभिसरण योजना है मलबरी पौधा रोपण के लिए समय समय पर ग्रामीण कृषकों को प्रोत्साहित किया जाता हैैैैं।
क्रमांक/158/2014/1805/वर्मा
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