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Wednesday, 9 September 2015

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने षिक्षक दिवस से एक दिन पूर्व विद्यार्थियों से की मन की बात

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने षिक्षक दिवस से एक दिन पूर्व विद्यार्थियों से की मन की बात 

खण्डवा 4 सितम्बर, 2015 - भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं शिक्षा विद डॉ. एस. राधाकृष्णन की 125 वी जयंती पर आयोजित होने वाले शिक्षक दिवस के एक दिन पूर्व भारत  के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचारो को वर्चुअल क्लास के माध्यम से जिले के विद्यार्थियो ने भी देखा व सराहा । कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने डॉ. एस. राधाकृष्णन की 125 वी जयंती पर 125 रूपये एवं 10 रूपये मूल्य के सिक्को को भी जारी किया । साथ ही उन्होने विद्यार्थियो की प्रतिभा को निखारने एवं देश के युवाओ के सामने लाने हेतु कला उत्सव वेबसाइट का भी शुभारंभ किया । इस कार्यक्रम का दूरदर्शन के सभी केन्द्रों द्वारा प्रसारित किया गया। 
     कलेक्टर डा. एम. के. अग्रवाल ने षासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खंडवा में विद्यार्थियों के साथ बैठकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन को सुुना और स्कूल में इसके लिये की गयी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस अवसर पर जिला षिक्षा अधिकारी श्री के. एस. राजपूत व विद्यालय के षिक्षकगण भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के जिले के सभी स्कूलों में प्रसारण के लिये दूरदर्शन , डी.टी.एच., केबल रेडियो ट्रांजिस्टर आदि के माध्यम से प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन सुनाने की व्यवस्था करायी गयी थी। इसके अलावा इंटरनेट से प्रसारण के तहत लेपटाप, कम्प्यूटर, आदि के माध्यम से भी इस कार्यक्रम का प्रसारण स्कूलों में किया गया। विभिन्न अधिकारियों को जिले के अलग अलग स्कूलों में व्यवस्थाओं के निरीक्षण के लियंे तैनात किया गया था। 
प्रधानमंत्री के प्रेरणादायी उद्बोधन के प्रमुख अंश
मॉ बच्चे को जन्म देती है, किन्तु गुरू बच्चे को जीवन देता है । इसलिये दोनो का गहरा प्रभाव बच्चे के मन पर होता है ।
एक आयु के बाद युवा सबसे ज्यादा समय अपने शिक्षको के साथ बिताता है । ऐसे में शिक्षको की जिम्मेदारी कई गुलना बढ जाती है । 
डॉ. एस राधाकृष्णन एवं डॉ. कलाम ने अपने अन्दर केे शिक्षक को कभी मरने नही दिया । इसलिये दोनो हमारे लिये आज भी आदरणीय है । 
शिक्षक वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी हो सकती है जो अपनी पुरानी साड़ी से बनी नेपकिन से आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चो को स्वच्छता का महत्व बताती है । 
शिक्षक उस कुम्हार के समान होता है, जो एक हाथ से मिट्टी के लोंदे को गिरने से बचाता है तो वही दूसरे हाथ से उसे सुन्दर आकार देता है । 
बच्चो को रोबट बनने से बचाने के लिये उनमें छिपी कलाओ को भी निखारने की आवश्यकता है । 
विद्यार्थियो को असफलता से घबराना नही चाहिये और ना ही विफलता को कभी अपने सपनों का कब्रिस्तान बनने देना चाहिये । 
उच्च पदो को धारण करने वालो को सप्ताह में 1 घण्टा व वर्ष में 100 घण्टा पढ़ाने का कार्य सामाजिक सरोकार के तहत करना चाहिये । 

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