डेंगू बुखार - बचाव, उपचार एवं रोकथाम के उपाय
खण्डवा 16 सितम्बर, 2015 - आजकल हमारे प्रदेश के आसपास के प्रदेशों जैसे- राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा में डेंगू बुखार की जानकारी प्राप्त हो रही है। अतः हमारे प्रदेश में डेंगू बुखार न फैले इस हेतु हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है, जिसके लिए डेंगू बुखार के संबंध में विस्तार से जानकारी होना भी बहुत जरूरी है।
डेंगू बुखार क्यों और कैसे
डेंगू बुखार एक प्रकार के वायरस, जिसे “डेन वायरस” भी कहते हैं, की वजह से होता है। एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण सामान्यतः 5 से 6 दिन के पश्चात मालूम पड़ते हैं। डेंगू बुखार का वायरस एडीज नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है। मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुंचने के पश्चात् पूरी जिन्दगी बीमारी में सक्षम होता है।
एडीज मच्छर का जीवन चक्र
मादा मच्छर साफ पानी में अण्डे देती है। अण्डे से एक कीड़ा निकलता है, जिसे लार्वा कहते है, लार्वा से प्यूपा बनता है एवं फिर मच्छर बन जाता है। लार्वा व प्यूपा अवस्था में ये पानी में रहते है और मच्छर पानी के बाहर। अण्डे से मच्छर बनने में करीब एक सप्ताह का समय लगता है। मच्छर का जीवनकाल करीब तीन सप्ताह का होता है। एडीज मच्छर काले रंग का होता है, जिस पर सफेद धब्बे बने होते है। इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है।
मच्छर पर नियंत्रण के उपाय
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के घरों में आजकल पानी को संचय करने की प्रवृत्ति होने से अक्सर सभी व्यक्ति घरों में पानी कंटेनर में 5-7 दिन से ज्यादा रखने लगे हैं। सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक की टंकी, पानी का हौद, नांद, मटका, घरों में रखे हुए फूलदान, जिसमें अक्सर मनी प्लान्ट लगाते है, पशुओं के पानी पीने के स्थान, टायर, टूटे-फूटे सामान, जिसमें बारिस का पानी जमा होता रहता है, में एडीज मच्छर पैदा होता है। अक्सर यह देखते हैं कि ये कंटेनर ढके हुए नहीं रहते हैं, जिससे इनमें मच्छर पैदा होते रहते हैं। यदि हम इन कंटेनर में भरे हुए पानी को गौर से देखें तो इनमें कुछ कीड़े ऊपर-नीचे चलते हुए दिखाई देते हैं। ये ही कीड़े मच्छर बनते हैं। अब हमें ज्ञात है कि कीड़ों से मच्छर बनते हैं और मच्छर से डेंगू बीमारी फैलती है तो इन कीड़ों का नाश करना जरूरी है।
लार्वा कीड़ों के विनाश के उपाय
लार्वा पानी में रहते है, इसलिये इन सभी कंटेनर का प्रत्येक सप्ताह में एक बार पानी निकाल देना चाहिए और साफ करके फिर से पानी भरना चाहिए। इन सभी कंटेनर को इस प्रकार से ढंककर रखना चाहिए कि इनमें मच्छर प्रवेश नहीं कर सकें और अण्डे नहीं दे सकें। मच्छर के कीड़े स्पष्ट दिखाई देते है, इसलिए इन्हें चाय की छन्नी से भी निकाला जा सकता है। ये कीड़े पानी से बाहर निकालने के बाद स्वतः मर जाते हैं। इस प्रकार का अभियान अपने घर में चलाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना जरूरी है।
मच्छर का सफाया कैसे
पैराथ्रम नाम की दवाई को केरोसिन में मिलाकर छिड़कने से मच्छर नष्ट होते हैं, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध है। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। जैसे पूरी बांह के कपड़े पहनें, पूरा शरीर ढंककर रखें, मच्छरदानी में सोएं, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं। खिड़की-दरवाजों में मच्छरप्रूफ जाली लगायें।
डेंगू बीमारी के लक्षण
सामान्यतः बुखार 102 से 104 डिग्री फेरनहीट, जो लगातार 2 से 7 दिन की अवधि तक रहता है। बुखार के साथ-साथ यदि निम्नलिखित लक्षणों में से 2 से अधिक लक्षण मिलें तो डेंगू का संभावित मरीज, हो सकता है रू- 1. तेज सिरदर्द होना, 2.आंखों के आसपास दर्द होना, 3. मांसपेशियों में दर्द होना, 4.जोडों में दर्द 5.शरीर पर चकत्ते बनना। यदि उपरोक्त के साथ-साथ मसूड़ों से अथवा आंतों से रक्तस्त्रात का होना अथवा खून में प्लेटलेट का कम होना लक्षण पाये जायें तो यह गंभीर प्रकार का डेंगू बुखार हो सकता है, जो घातक हो सकता है। इसमें तत्काल अस्पताल में इलाज लेना चाहिए।
डेंगू बीमारी का निदान
आजकल जांच हेतु रेपिड डाइग्नोस्टिक किट भी उपलब्ध हो रहे हैं। उक्त बुखार होने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहिये। डेंगू बुखार एक वायरस की वजह से होता है एवं वायरस का वर्तमान में इलाज संभव है, इसलिये मरीज में बीमारी के जो-जो लक्षण दिखाई देते हैं, उसी अनुसार मरीज का उपचार किया जाता है। डेंगू बुखार में मरीज को सेलिसिलेट व एस्प्रिन गोली का सेवन नहीं करना चाहिये, पैरासिटामोल गोली का सेवन किया जा सकता है किन्तु उपचार डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। सामान्यतः 80 से 90 प्रतिशत मरीज 5 से 7 दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं। इसके एक बार से ज्यादा होने की संभावना भी रहती है।
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