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Tuesday 29 September 2015

मातृभाषा में शिक्षा के लिये स्थानीय बोली व भाषाओं का किया जा रहा है संकलन

मातृभाषा में शिक्षा के लिये स्थानीय बोली व भाषाओं का किया जा रहा है संकलन

खण्डवा 26 सितम्बर,2015 -  मध्यप्रदेश में निःशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के अनुसार मातृभाषा में शिक्षा के लिये स्थानीय बोलियों व भाषाओं का संकलन किया जा रहा है। राज्य शासन ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर को निर्देश जारी कर 30 सितम्बर तक कार्यवाही करने को कहा है। अधिनियम में प्रावधान है कि शिक्षा का माध्यम, जहाँ तक साध्य हो बालक की मातृभाषा में हो। इसकी प्रतिपूर्ति के लिये शाला से राज्य स्तर तक विभिन्न स्थानीय बोलियों व भाषाओं को संकलित कर प्राथमिक स्तर में पढ़ने वाले बच्चों को चिन्हांकित करने के लिये यह कार्यवाही की जा रही है। जानकारी का संकलन शाला स्तर से संकुल, विकासखण्ड और जिला स्तर पर किया जा रहा है।
    जिलों में डाइट प्राचार्य प्रचलित भाषाओं व बोलियों के जानकार व्यक्तियों, शिक्षाविदों की सूची उपलब्ध करवायेंगे। यदि जिले में प्रचलित भाषा व बोलियों पर पहले कोई कार्य किसी स्तर पर किया गया हो तो उसकी प्रति उपलब्ध करवायी जायेगी। साथ ही बोली व भाषाओं की वॉक्यूबलरी एवं ग्रामर पर कोई कार्य होने पर उसकी भी प्रति उपलब्ध करवायी जायेगी। प्रत्येक जिले द्वारा बच्चों के शैक्षणिक उन्नयन में स्थानीय बोली व भाषाओं के प्रभाव का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी। डाइट स्तर से स्थानीय भाषा एवं बोली के प्रभाव से हिन्दीभाषी बच्चों एवं स्थानीय बोली व भाषाओं के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन किया जायेगा। जिला कलेक्टर को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बच्चों अथवा उनके परिवार द्वारा जो भी बोली व भाषाएं बोली जा रही हो, उसका विवरण निर्धारित प्रारूप में उपलब्ध करवाने के लिये संबंधित को निर्देशित करें। 

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