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Sunday 15 March 2015

विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस पर कार्यक्रम हुआ आयोजन

विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस पर कार्यक्रम हुआ आयोजन
उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों कि दी गई जानकारी
प्रदर्षनी एवं जीवंत प्रदर्षन के माध्यम से विभागों द्वारा दी गई जानकारी
प्रत्येक उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा - विधायक श्री वर्मा





खण्डवा (15मार्च,2015) - विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित नगर निगम परिसर में रविवार को जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक खण्डवा श्री देवेन्द्र वर्मा ने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को लेकर सजग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता का यह अधिकार है कि वह किसी वस्तु या सेवा के लिए मूल्य देता है, तो उन्हें गुणवत्तापूर्ण वस्तु या सेवा मिले। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मॉं अन्नपूर्णा के चित्रपट पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर विधायक श्री वर्मा, नगर निगम आयुक्त एस.आर.सोलंकी, डीएसओ एस.आर.कोठारे और पेट्रोल डीजल एषोसिएषन के जिला अध्यक्ष श्री मुक्तिलाल नरेड़ी ने किया। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगर निगम आयुक्त एस.आर. सोलंकी ने भी सभी उपभोक्ताओं से अपने अधिकारों को जानने और समझने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए, ना कि लापरवाह। इसके साथ ही कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति के वकील चन्द्रशेखर सोनी ने भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत विहित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर सभी संबंधित विभागों द्वारा पोस्टर प्रदर्षनी और जीवंत प्रदर्षन का भी प्रस्तुतितिकरण किया गया। 
  कार्यक्रम में जिला खाद्य नागरिक आपूर्ति अधिकारी एस.आर. कोठारे ने कहा कि आम आदमी को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए। वह जो भी वस्तु खरीदता है उसके के संबंध में संपूर्ण जानकारी जैसे एगमार्क, हालमार्क, शुद्धता, अधिकतम मूल्य, निर्माण तिथि तथा उपयोग की सीमा, गारण्टी-वारण्टी आदि की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखा जाता है कि उपभोक्ताओं द्वारा जागरूकता के अभाव में खरीदी गई वस्तु का बिल नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता यदि जागरूक होगा तो उसे गुणवत्तापूर्ण वस्तु या सेवा प्राप्त हो सकेगी। इसके साथ ही उन्होंने आधार सेडिंग, आधार की सब्सीडी अपने खातों में कैसे पहॅुचें, पेट्रोल एवं केरोसिन, के संदर्भ में भी जानकारी दी।  कार्यक्रम के आरंभ में खाद्य अधिकारी श्री कोठारे ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि - 
उपभोक्ता कौन है - उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिए सामान अथवा सेवाएं खरीदता है वह उपभोक्त है। क्रेता की अनुमति से ऐसे सामान, सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। अतः हम में से प्रत्येक किसी न किसी रूप में उपभोक्ता ही है।
उपभोक्ता के रूप में हमें कुछ अधिकार प्राप्त हैं जो इस प्रकार है -
सुरक्षा का अधिकार
जानकारी होने के अधिकार
चुनने का अधिकार
सुनवाई का अधिकार
षिकायत - निवारण का अधिकार
उपभोक्ता - षिक्षा का अधिकार
षिकायत कौन दर्ज करा सकता है - 
उपभोक्ता
कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन जो समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 अथवा कंपनी अधिनियम 1951 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत है।
केन्द्र सरकार
राज्य सरकार अथवा संघ क्षेत्र के प्रषासन 
षिकायत किन स्थितियों में -
किसी व्यापारी द्वारा अनुचित, प्रतिबंधात्मक पद्धति के प्रयोग करने से यदि आप को हानि , क्षति हुई है।
यदि खरीदे गए सामान में कोई खराबी है।
किराए पर ली गई, उपयोग की गई सेवाओं में किसी भी प्रकार की कमी पाई गई है।
यदि आप से प्रदर्षित मूल्य अथवा लागू कानून द्वारा अथवा इसके मूल्य से अधिक मूल्य लिया गया है।
यदि किसी कानून का उल्लंघन करते हुए जीवन तथा सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है।
षिकायत कैसे की जाए - अपनी षिकायत भेजें ताकि इसका समाधान हो सके। षिकायत सादे कागज पर की जा सकती है। षिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिए -
षिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता।
षिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज।
षिकायत पर षिकायतकर्ताओं अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए।
षिकायत दर्ज कराने के लिए किसी वकील की आवष्यकता नहीं।
नाममात्र न्यायालय शुल्क।
षिकायत कहॉं की जाए - 
यदि यह 20 लाख रूपये से कम हैं , जिला फोरम में।
यदि 20 लाख रूपये से अधिक लेकिन 1 करोड़ रूपये से कम है , राज्य आयोग के समक्ष।
यदि 1 करोड़ रूपये से अधिक है राष्ट्रीय आयोग के समक्ष।
उपभोक्ताओं को उपलब्ध राहत - 
सामान से खराबियॉं हटाना।
सामान को बदलना।
चुकाए गए मूल्य को वापिस देना।
हानि अथवा चोट के लिए क्षतिपूर्ति।
सेवाओं में त्रुटियॉं अथवा कमियॉं हटाना।
पार्टियों को पर्याप्त न्यायालय वाद - व्यय प्रदान करना।
क्या आप जानते है ? -  इसके साथ ही कार्यक्रम मंे सहायक नियंत्रक नाप - तौल विभाग अजित श्रीवास्तव ने भी उपभोक्ताओं की मार्गदर्षिका की सम्पूर्ण जानकारी भी दी। जिसमें उन्होंने बताया कि क्या आप जानते हैं ? 
किसी भी वस्तु की कीमत उसके गुणों के साथ - साथ उसकी शुद्ध मात्रा से आकी जाती है। यदि आप वस्तु को कम मात्रा में पाते है तो आपके द्वारा चुकाया गया मूल्य वस्तु के निर्धारित मूल्य से अधिक होता है।
यदि नाप तौल उपकरण सही नहीं हो अथवा उन्हें सही तरीके से उपयोग किया जावें तो वस्तुओं के मूल्य निर्धारण का कोई औचित्य नहीं रह जाता ।
नाप - तौल उपकरणों के सही होने पर भी कुटिल व्यवसायी द्वारा हाथ की सफाई से की जाने वाली हानि से उपभोक्ता सतर्क होने पर ही बच सकता है।
नाप - तौल से संबंधित अधिनियम एवं नियम उपभोक्ता हितों के संरक्षक है।
वस्तु विक्रय करते समय निम्न बिन्दुओं पर विषेष ध्यान दीजिये -
बॉंट - लोले के पुराने  पत्थर के या अन्य अमानक बॉंटों से वस्तुएॅं न खरीदे। बॉंटों के नीचे छिद्र में शीषे पर नाप - तौल विभाग की मुद्रा लगी होती है। देखें कि बॉंटो के नीचे छिद्र से कही शीषा तो नहीं निकला है अथवा अन्य किसी वस्तु से छिद्र भरकर बॉंटों को वजनदार तो नहीं बनाया गया है।
माप - 
तरल पदार्थ खरीदते समय देखें कि उपकरण नीचे से या आजू - बाजू से पिचका हुआ तो नहीं है या माप की डण्डी तो नहीं टूटी है। 
यह देखंे कि विक्रेता मापक उपकरण में अॅंगूठा डालकर तो द्रव नहीं नाप रहा है।
यह देखें कि मापक उपकरण पूरी तरह से भरा गया है एवं उड़ेलते समय पूरा खाली किया गया है।
यह देखें कि शंकु आकार का मापक उपकरण पिचका हुआ तो नहीं है या उसके अन्दर कोई रबर, टीन या अन्य पदार्थ की पैकिंग लगाकर उसका आयतन छोटा तो नहीं किया गया है।
लम्बाई मापक (मीटर ) - 
कपड़ा , तार या अन्य वस्तु खरीदते समय यह देखें कि मीटर के दोनों सिरों पर तीर के निषान है।
यह देखें कि मीटर हाथ से दबाकर आड़ा, तिरछा या कम तो नहीं किया गया है।
यह देखें कि कपड़ा या अन्य वस्तु चींखकर तो नहीं नापी जा रही है।
तराजू -
गोल डण्डी कि तराजू अथवा भारी पलवे या फॅंसने वाले मोटे हुक की अवैध तराजू से तुलवाकर कोई वस्तु न खरीदें।
यह देखें कि तराजू में पासंग तो नहीं है।
यह सुनिष्चित करंे कि तराजू के नीचे चुम्बक या अन्य कोई वस्तु तो नहीं रखी है।
यह देखें कि आटा तथा अन्य वस्तु तौलते समय पलवे को पैर का सहारा तो नहीं दिया जा रहा है। या पैर से दबाया तो नहीं जा रहा है और पलवे, दीवार या अन्य वस्तु से तो नहीं टकरा रहे है। जिस पलवे पर बॉंट रखें है उसके नीचे कोई स्टेण्ड तो नहीं बना है।
रद्दी या अन्य वस्तु बेचते समय ध्यान रखें कि लकड़ी की तराजू से न बेचें। यह भी ध्यान रखें कि तराजू में सेन्ट्रल नाइफ - एज फैंस तो नहीं रहा है।
काउन्टर मषीन -
यह देखें कि पलवे के नीचे कोई सिक्का या अन्य कोई वस्तु तो नहीं फॅंसाई गयी है।
यह देखें कि काउन्टर मषीन समतल व सहगोचर स्थान पर रखी है।
यह देखें कि काउन्टर मषीन पंखे के नीचे तो नहीं रखी गयी है।
पेट्रोल/डीजल पम्प -
पेट्रोल या डीजल खरीदते समय देखें कि प्रारंभ में मीटर शून्य दर्षा रहा है।
मीटर में दर्षाये गये माप अनुसार ही भुगतान करें। शंकार होने पर उपभोक्ता की सुविधा हेतु पम्प - संस्थान पर रखें प्रमाणित माप से प्रदाय की जॉंच करें।
टैक्सी मीटर -
ऑटो रिक्सा, टैक्सी में बैठने से पूर्व देखें कि मीटर, मीटर - गीयर तथा अॅसेम्बली पर नाप तौल विभाग की मुद्रा लगी है।
ऑटो रिक्षा, टैक्सी मंे बैठते ही मीटर को डाउन करवायें और देखें कि मीटर प्रारंभिक किराया दर्षा रहा है।
टैक्सी में बैठते समय विषेष रूप से ध्यान देवें कि टैक्सी मीटर का फ्लेग कहीं तिरछा तो नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसमें वेटिंग चॉर्ज भी प्रारंभिक किराये में शामिल हो जावेगा। अतः तिरछा होने की स्थिति में मीटर के फ्लेग को पुनः घुमवाया जाकर प्रारंभिक किराया वाली स्थिति प्राप्त की जावें।
इसके साथ ही कार्यक्रम में जिला प्रबंधक लोकसेवा शैलेन्द्र सिंह जादम, पार्षद सुनील जैन, समेत नाप-तौल विभाग, खाद्य विभाग, और खाद्य एवं औषधी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। 
क्रमांक/61/2015/359/वर्मा

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