पाले से फसलों की सुरक्षा के लिए उपयोगी सलाह
खण्डवा 29 जनवरी, 2019 - जिस दिन आकाश पूर्णतया साफ हो वायु में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, सायंकाल के समय हवा में तापमान ज्यादा कम हो एवं भूमि का तापमान शून्य डिग्री सेंटीग्रेट अथवा इससे कम हो जाए, ऐसी स्थिति में हवा में विद्यमान नमी जल वाष्प संघनीकृत होकर ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसके साथ ही पौधों की पत्तियों में विद्यमान जल संघनित होकर बर्फ के कण के रूप में परिवर्तित हो जाते है जिससे पत्तियों की कोशिका भित्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे पौधों की जीवन प्रक्रिया के साथ साथ उत्पादन भी प्रभावित होता है।
उपसंचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने बताया कि पाला पड़ जाने पर फसल को नुकसान की संभावना अत्यधिक होती है ऐसी स्थिति में किसान भाई निम्नानुसार सावधानी अपनाकर फसलों को बचा सकते है। पाले की संभावना पर रात में खेत में 6 से 8 जगह पर धुंआ करना चाहिए यह धुंआ खेत में पड़े घास पूस अथवा पत्तियां जलाकर भी किया जा सकता है। यह प्रयोग इस प्रकार किया जाना चाहिए कि धंुआ सारे खेत में छा जाए तथा खेत के आसपास का तापमान 5 डिग्री सेल्सीयस तक आ जाए। इस प्रकार धुंआ करने से फसल का पाले से बचाव किया जा सकता है। पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिए इससे मिट्टी का तापमान बड़ जाता है तथा नुकसान की मात्रा कम हो जाती है। सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिए तथा इतनी ही करनी चाहिए जिससे कि खेत गीला हो जाए। रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिए दो व्यक्ति सुबह सुबह एक लम्बी रस्सी को उसके दोनों सिरे से पकड़कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को फैलाते चलते है, इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है तथा फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है।
उपसंचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित करने संबंधी प्रयोग किये गये है। उदाहरण क्लोरोईथाइल ट्रायमिथाईल अमोनिया क्लोराईड का 0.03 प्रतिशत घोल, एन-डाईमिथाईल अमिनों सक्सीनिक एसिड का 0.01 प्रतिशत घोल, घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत का घोल एवं घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत $ बोरोन 0.1 प्रतिशत घोल तथा गंधक के 1 लीटर तेजाब से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है। रसायनों के विशेषकर गंधक के तेजाब का उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक तथा किसी कृषि विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। इनमें से किसी भी एक घोल बनाकर छिड़काव करके फसल को पाले से बचाया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment