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Saturday 27 August 2016

माखनलाल चतुर्वेदी के विचारों व लेखों पर आधारित ग्रंथ तैयार किया जाये - महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस

माखनलाल चतुर्वेदी के विचारों व लेखों पर आधारित ग्रंथ तैयार किया जाये - महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस
‘माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता एवं रतौना प्रसंग‘ पर विचार गोष्ठी सम्पन्न


खण्डवा 27 अगस्त, 2016 - माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित कर्मवीर विद्यापीठ में ‘‘माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता एवं रतौना प्रसंग‘‘ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं प्रदेष की महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी के विचारों व आलेखों पर केन्द्रित एक विस्तृत ग्रंथ प्रकाषित किये जाने की आवष्यकता हैं, जिससे आज की युवा पीढ़ी के पत्रकारों व विद्यार्थियों को उनके सिद्धांतों व विचारों की जानकारी रहे। उन्होंने इस ग्रंथ के विमोचन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम खण्डवा में आयोजित करने का अनुरोध भी विष्वविद्यालय के कुलपति श्री बृज किषोर कुठियाला से किया। कार्यक्रम में विष्व विद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा, फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेष शर्मा, मध्य प्रदेष राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के संचालक श्री कैलाष पंत ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विष्वविद्यालय के कुलपति श्री कुठियाला ने की। 
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने इस अवसर पर कहा कि सन् 1920 में माखनलाल चतुर्वेदी के रतौना प्रसंग के समय पत्रकारों व साहित्यकारों की एकता के कारण अंग्रेजों को सागर जिले के ग्राम रतौना में गौवध केन्द्र स्थापित करने का निर्णय बदलना पड़ा था। उन्होंने कहा कि गाय का हमारे धर्म और संस्कृति के साथ साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बड़ा महत्व हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि में प्राचीनकाल से ही गोबर की खाद व कीटनाषक के रूप में गौमूत्र का महत्वपूर्ण योगदान माना गया हैं। आज भी रासायनिक उर्वरकों से खेतो में होने वाले नुकसान को देखते हुये फिर से जैविक खाद व जैविक कीटनाषक की आवष्यकता पड़ रही है। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी जो कि एक षिक्षक थे तथा 1908 में माधवराव सप्रे द्वारा आयोजित एक निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया तथा षिक्षक की नौकरी छोड़कर ‘‘कर्मवीर‘‘ समाचार पत्र का प्रकाषन कर पत्रकारिता व स्वतंत्रता आन्दोलन से वे जुड़ गये। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनिस ने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन दर्षन विषय पर भी निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाना चाहिए ताकि आज की पीढ़ी उनके जीवन दर्षन को जान सके व अपना सकें। 
विष्व विद्यालय के कुलपति श्री कुठियाला ने इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोदन में कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता एवं रतौना प्रसंग विषय पर एक ग्रंथ का प्रकाषन शीघ्र ही किया जायेगा तथा इसका विमोचन खण्डवा में एक राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में किया जायेगा। उन्होंने कहा कि रतौना प्रसंग से प्रभावित होकर विष्व विद्यालय के भोपाल के बिसनखेड़ी में निर्माणाधीन परिसर में 5 एकड़ क्षेत्र में गौषाला स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस गौषाला से दूध उत्पादन के साथ साथ गाय के गोबर से खाद तैयार करने, गौमूत्र से कीटनाषक व दवाईयां तैयार करने तथा गौबर गैस संयंत्र से उर्जा प्राप्त करने की व्यवस्था भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालय के खण्डवा परिसर के लिए जिला प्रषासन से 5 एकड़ भूमि की स्वीकृति प्राप्त होते ही एक वर्ष की अवधि में भवन निर्माण करा लिया जायेगा तथा भोपाल की तरह खण्डवा परिसर में भी प्रकृति से संवाद की व्यवस्था होगी। इसी तरह अमरकंटक में भी शोध केन्द्र स्थापित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी का रतौना आन्दोलन लगभग 70 दिन तक जारी रहा था। इन 70 दिनों में पत्रकारों , साहित्यकारों व देषवासीयों ने अपनी एकता व देषभक्ति का प्रदर्षन कर अंग्रेज सरकार को रतौना में गौवध केन्द्र स्थापित करने का निर्णय वापस लेने पर मजबूर किया था। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता तौड़ने वाली नही बल्कि जोड़ने वाली तथा समाधानात्मक होनी चाहिए। 
विष्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री आहूजा ने इस अवसर पर रतौना प्रसंग पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी जब बम्बई की यात्रा रेल से कर रहे थे तभी रास्ते में पायोनियर अखबार में रतौना में गौवध केन्द्र स्थापित करने संबंधित विज्ञापन देखकर उन्होंने रास्ते में ही अपनी बम्बई यात्रा निरस्त कर रतौना की यात्रा करने का निर्णय लिया और अपने अखबार के माध्यम से रतौना में गौवध केन्द्र स्थापित न होने के लिए आन्दोलन प्रारंभ किया। यह आन्दोलन इतना व्यापक था कि रतौना के गौवध केन्द्र के विरोध में बर्मा के रंगून में एक बड़ी आमसभा आयोजित की गई थी। उन्होंने बताया कि इस आन्दोलन से हिन्दू व मुसलमान सभी जुड़े तथा सभी ने मिलकर इस कसाई खाने की स्थापना का विरोध किया। श्री आहूजा ने कहा कि अंग्रेज सरकार रतौना में गौवध केन्द्र स्थापित कर हिन्दू व मुसलमानों में फूट डालना चाहती थी, जिसमें वह असफल रही। 
फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य श्री शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि अंग्रेजों ने फूट डालो राज्य करो की नीति से देष में राज्य किया। उन्होंने कहा कि अकबर बावर व ओरंगजेब जैसे मुस्लिम शासकों के कार्यकाल में भी गौ हत्या पर प्रतिबंध था, लेकिन अंग्रेजों ने हिन्दू व मुसलमानों में फूट डालने के उद्देष्य से गौ हत्या से प्रतिबंध हटाया। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण की थी, आज भी सकारात्मक पत्रकारिता की आवष्कयता है। राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के संचालक श्री पंत ने अपने संबोधन में माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन दर्षन व विचारों पर विस्तार से प्रकाष डाला। 

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