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Tuesday 23 August 2016

खेती की नई नई तकनीक अपनाकर कृषि उत्पादन व आय बढ़ायंे

खेती की नई नई तकनीक अपनाकर कृषि उत्पादन व आय बढ़ायंे
वैज्ञानिक - कृषक संवाद में कलेक्टर श्रीमती नायक ने किसानों से की अपील 




खण्डवा 23 अगस्त, 2016 - खेती की आधुनिकतम तकनीकों को अपनाकर किसान अपना कृषि उत्पादन बढ़ा सकते हैं। किसान नाम मात्र की लागत पर जैविक खाद व जैविक कीटनाषक तैयार कर सकते हैं।  जैविक पद्धति से खेती की लागत बहुत कम होती है तथा बाजार में जैविक कृषि उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलता हैं। इससे किसानों को अधिक लाभ होता है। यह बात कलेक्टर श्रीमती स्वाति मीणा नायक ने कृषि महाविद्यालय में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं आत्मा परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वैज्ञानिक कृषक संवाद में संबोधित करते हुये कही। इस अवसर पर जिले की विभिन्न तहसीलों के ग्रामों से आये किसान मित्र व किसान दीदी के अलावा कृषि विभाग के ग्रामीण स्तर पर पदस्थ अधिकारी भी मौजूद थे। इस कार्यषाला में उप संचालक कृषि श्री ओ.पी. चौरे के अलावा उप पंजीयक सहकारी समिति श्री मदन गजभिये , आत्मा के परियोजना संचालक श्री सोलंकी व कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता श्री पी.पी. शास्त्री ने भी संबोधित किया। इस दौरान उपस्थित किसानों को पावर पाईंट  प्रजेन्टेषन के माध्यम से खेती की नई नई तकनीकों की जानकारी दी गई। 
कलेक्टर श्रीमती नायक ने अपने संबोधन में कहा कि कस्टम हायरिंग केन्द्रों के बारे में जानकारी दी जाये ताकि वे उन्नत कृषि यंत्र निर्धारित सरकारी दर पर किराये से ले सकें। उन्होंने किसानों से फसल बीमा कराने की अपील भी की। उन्होंने सहकारिता विभाग के अधिकारियों से कहा कि सभी किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड बनवाये जाये ताकि वे खेती के लिए आसानी से ऋण ले सके। कलेक्टर श्रीमती नायक ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो में भी रोजगार की अच्छी संभावनाएं हैं। इन उद्योगो की जिले में स्थापना कर बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा सकते है। उन्होंने कृषि उपज मण्डी के सचिव से कहा कि किसानों को खण्डवा एवं आसपास की कृषि मण्डीयों में फसल के भावों की जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें। साथ ही देष व प्रदेष स्तर की मण्डीयों में कृषि उत्पादनों के भावों की जानकारी भी किसानों को उपलब्ध रहे यह सुनिष्चित किया जाये ताकि किसान चाहे तो अपने उत्पादन को जिस मण्डी में अच्छा भाव मिले वहां बेच सकता है। कलेक्टर श्रीमती नायक ने कहा कि हमारा देष की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा खेती किसानी से जुड़ा है। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इसके लिए सरकार ने अनेको योजनाएं भी प्रारंभ की है, जिनके माध्यम से खेती की लागत को कम करने तथा कृषि उत्पादन का बेहतर मूल्य दिलाने की व्यवस्था की गई है। खेती को लाभ का धंधा बनाकर ही किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है।
इस कार्यषाला में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी। जिनमें रबी फसलों में रोग नियंत्रण तथा बीज उपचार के बारे में डॉ. आषीष बोगड़े व डॉ. ओमप्रकाष ने बताया कि कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना के बारे में सहायक कृषि यंत्री श्री शुक्ला ने जानकारी दी, जबकि प्रमाणित बीज उत्पादन के बारे में बीज प्रमाणिकरण अधिकारी श्री सिंह ने बताया। महाविद्यालय के डीन डॉ. पी.पी. शास्त्री ने रबी प्रषिक्षण के बारे में जानकारी दी एवं रबी फसलों में कीट आक्रमण की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय विषय पर डॉ. एस.के. परसाई कृषि वैज्ञानिक ने विस्तार से बताया। रबी फसलों में पोषण प्रबंधन विषय पर डॉ. बाईके शुक्ला कृषि वैज्ञानिक ने, एग्रो प्रोसेसिंग विषय डॉ. डी.के.वाणी कृषि वैज्ञानिक ने, उद्यानिकी फसले प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन तथा पैकेजिग एवं मार्केटिंग विषय पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुरागे ने जानकारी दी, जबकि सिंचाई की उन्नत विधियों के बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉ. सतीष पटेल ने तथा जैविक खेती, जैविक बीजोपचार, जैविक खाद, जैविक कीटनाषक एवं रोग नाषक विषय पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. रूपेष जैन ने किसानों को विस्तार से समझाया। 

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