जल-सत्याग्रहियों का उपजाऊ भूमि अस्वीकार करना आश्चर्यजनक
नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री लालसिंह आर्य
खण्डवा (08मई,2015) - नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री लालसिंह आर्य ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि भूमि के बदले भूमि की माँग करते हुए जल सत्याग्रह कर रहे जलाशय प्रभावित लोगों ने सरकार द्वारा प्रस्तावित उपजाऊ भूमि लेने से इन्कार कर दिया है। श्री आर्य ने कहा कि सत्याग्रह करने वालों की इस भूमिका से उनकी डूब भूमि के बदले भूमि की माँग पर ही अब प्रश्न-चिन्ह लग गया है।
श्री आर्य ने जल सत्याग्रह करने वालों से अपील की है कि वे भ्रम और दिशाहीनता की स्थिति से बाहर निकलें। प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पर अपना विश्वास रखते हुए प्रदेश में सिंचाई से कृषि क्रांति के मुख्यमंत्री के संकल्प को पूरा करने में भागीदार बनें। उल्लेखनीय है कि जलसत्याग्रह करने वाले 213 लोगों को पूर्व में भी कृषि भूमि आवंटित की गई थी जो उन्होंने विभिन्न कारण बताकर स्वीकार नहीं की थी।
श्री आर्य ने कहा कि ओंकारेश्वर परियोजना जलाशय भरने का विरोध करने वालों के प्रतिनिधियों से मैंने 23 अप्रैल को विस्तृत चर्चा की थी। प्रतिनिधियों का कहना था कि सरकार ने पूर्व में उन्हें जो जमीन आवंटित की थी वह अनउपजाऊ और अतिक्रमित थी। हमें कृषि योग्य उपजाऊ भूमि आवंटित की जाये तभी जलाशय आन्दोलन समाप्त किया जायेगा।
श्री आर्य ने कहा कि प्रभावितों की इस माँग पर गम्भीरतापूर्वक कार्यवाही करते हुए आन्दोलनकारी प्रतिनिधियों को गत 6 मई को नर्मदा कछार के नरसिंहपुर जिले की उपजाऊ भूमि ऑफर की गई। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, एनएचडीसी तथा नरसिंहपुर जिला प्रशासन के लगभग एक दर्जन अधिकारियों ने स्थल पर भूमि का अवलोकन करवाया। आश्चर्यजनक रूप से सत्याग्रही प्रतिनिधियों ने इस उपजाऊ भूमि को लेने से इन्कार कर दिया। भूमि का अच्छा स्तर इस बात से ही जाहिर होता है कि कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार यह भूमि 6 से 12 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मानी गई है। डूब प्रभावितों के प्रतिनिधियों के इस कृत्य से यह संदेश आता है कि डूब भूमि के बदले भूमि की माँग करने वालों को कदाचित अव्यवहारिक और असंभव उपलब्धियों का लक्ष्य दिखाकर भ्रमित किया गया है।
क्रमांक/15/2015/476
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